11 May 2020

WISDOM ------

  महर्षि  अरविन्द  ने  भारत  के  संदर्भ   में  कहा  था  ---- " भारत  की  कमजोरी  का   प्रमुख  कारण  दासता , गरीबी  और  धर्म  नहीं  ,  बल्कि  वह  है --- विचार  शक्ति  का  ह्रास   और  अज्ञान  का  विस्तार  l   हमें  भारत  की  वास्तविक  आत्मा  को  जाग्रत  करना  चाहिए  l  "
  श्री  अरविन्द  का  यह  कथन   आज  सम्पूर्ण  विश्व  पर  लागू   होता  है   l   कोई  विचार  किस  तरह  समाज  पर  हावी  हो  जाता  है   और  फिर  एक  निश्चित  अवधि  के  बाद  उसका  दुष्परिणाम  संसार  के  सामने  आता  है   l   इसका   उदाहरण   है --- ' चार्वाक  दर्शन '  -- इस  साहित्य  ने  उधार  लेकर  घी  पीने  की  सीख  दी  ,  जिसे  माध्यम  वर्ग  ने  बहुत  ख़ुशी  से  स्वीकार किया  l    इसकी  दूसरी  प्रमुख  बात  यह  है   कि   सम्पति  अर्जित  करने  के  लिए  मेहनत  और  ईमानदारी  की  आवश्यकता  नहीं  ,  बल्कि  अपने  दिमाग  का  प्रयोग  कर  के  कम  - से - कम   समय  में  अमीर  हुआ  जा  सकता  है   l   इसी  का  परिणाम  हुआ  की  विश्व  में   शेयर  मार्केट   चल  पड़ा  है  l
ये  विचार  सारे  संसार  में  छा  गए   l  भारत , अमेरिका  आदि  विभिन्न  देशों  में  लोगों  ने  बैंकों  से  भारी  लोन  लेकर   घर , कार  आदि  विभिन्न  सुविधाएँ  जोड़   लीं  l   शुरू  में  तो  सब  कुछ  बहुत  अच्छा  लगा  ,  लेकिन  वर्तमान  समय  जब   संसार  में  करोड़ों  लोग  बेरोजगार  हो  गए   तो  ऐसे  उधार  में  दबे  हुए  मध्यम   वर्ग  की  स्थिति  सबसे  अधिक  दयनीय  हो  गई  l
  दूसरे  विचार  का   परिणाम  यह  हुआ   कि   कुछ   लोगों   ने     बॉन्ड , शेयर , प्रतिभूति  आदि  में  निवेश  कर  के   बहुत  धन  कमा  लिया   और  अब  उसके  ब्याज  से  बिना  परिश्रम  किए   ही  दिन - प्रति दिन  अमीर  होते  जा  रहे   हैं   दूसरी  ओर   दिन - रात  मेहनत  करने  वाले  , कठोर  परिश्रम  से  अपने  परिवार  का  पेट  पालने   वाले   भोजन  के  लिए  लाइन  में  हाथ  पसारे   खड़े  हैं  या  भूखों  मरने  की  नौबत  आ  गई  l   यह  स्थिति  विश्व  के  अधिकांश  देशों  की  है  l  इस  विकट    समय  में  भी   कुछ  लोग   दिन  दूने   रात  चौगुने  अमीर  हो  रहे   और  अधिकांश  आँखों  में  आँसू   लिए  एक - एक  दाने  को  तरस  रहे  l    आसुरी  प्रवृतियों  का  तो  मुख्य  लक्षण  ही  यह  है  कि   वे  लोगों  को  निचोड़कर  , उन्हें  सता कर  ही  प्रसन्न  होती  हैं  l
  लेकिन  गरीब  के  आँसू   व्यर्थ  नहीं  जाते ,  संसार  में  तबाही  ला  देते  हैं   l   ऐसे  भयानक  परिणाम  से  हमारे  प्राचीन  ऋषि  परिचित  थे  ,  इसलिए  हमारी  प्राचीन  संस्कृति  में  श्रम  और  ईमानदारी  से  धन- उपार्जन  को  महत्व   दिया  गया  l   अथर्ववेद  में  कहा  गया  है  -- व्यापार  में  से  श्रम  और  चरित्र  को  ही  यदि  हटा  दिया  जाये  तो  फिर  वह  व्यापार  नहीं  होता  है ,  कुछ  और  हो  जाता  है  l
आज  संसार  को  जागरूक  होने  की  ,  अपनी  आत्मशक्ति  को  जाग्रत  करने  की  जरुरत  है  l 

WISDOM ---- अति की महत्वाकांक्षा व्यक्ति को अत्याचारी बना देती है

  साधु , संत , पीर , सत्पुरुष    हमेशा  अंदर  से  प्रेम  से  भरे  होते  हैं   l   सबके  लिए   समान    रूप  से  उनके   मन  में  प्रेम  होता  है  l  हरेक  के  दुःख  में  वे  दुःखी   होते  हैं  l   तैमूरलंग   ने  हजारों  हत्याएं  कीं ,  दिल्ली  और  अन्य  कई  राज्यों  पर  कब्ज़ा  किया  l   जिस  एक  राज्य  को  जीता  ,  वहां  का  राजा  काना  था  l   तैमूर  लंगड़ा  था  l   दोनों  एक  प्रसिद्ध   फकीर   के  पास  मिलने  गए   l   दोनों  ही  भीतर  से  बहुत  अशांत  थे   l  पीर  बोले ---- " खुदा  भी  अजीब - अजीब  काम  करता  है   l   अंधे - लँगड़े   को  सल्तनत  देता  है  l   वह  फकीरों  को  बादशाह  नहीं  बनाता  l   जो  हीन   भावनाओं  वाले  होते  हैं  ,  वे  ही  जरुरत  से  ज्यादा   ख्वाहिशमंद   होते  हैं  l   बड़ा  करामाती  है  खुदा   l   अब  तुम  दोनों  भुगतो   उसके  कहर  को   l  "
          दुनिया  के  कट्टर  और  खूंखार  बादशाहों  में  तैमूरलंग  का  नाम  आता  है  l   व्यक्तिगत  महत्वाकांक्षा  , अहंकार  और  जवाहरात  की  तृष्णा  से  पीड़ित   तैमूर  ने  बगदाद   में   एक  लाख  मरे  हुए  व्यक्तियों  की   खोपड़ियों  का  पहाड़  खड़ा  कराया  था  l