28 October 2019

WISDOM -----

  श्रीमद्भगवद्गीता  में  भगवान  कहते  हैं ---- " जैसे  जल  में  चलने  वाली  नाव  को  वायु  हर  लेती  है ,  वैसे  ही  विषयों  में  विचरती  हुई    इंद्रियों  में  से  मन  जिस  इंद्रिय  के  साथ  रहता  है  ,  वह  एक  ही  इंद्रिय  इस  पुरुष  की  बुद्धि    को  हर  लेती  है  l "
  इसका  अर्थ  यह  हुआ  कि  मनुष्य को  बहुत  सावधान  रहना  चाहिए  l  एक  ही  इन्द्रिय  काफी  है  ,  जो  मनुष्य  को  पतन  की  ओर  ले  जा  सकती  है  l    द्वापरयुग  में  एक  असुर  था  --- शंबरासुर  l  उसने   प्रद्दुम्न  ( श्रीकृष्ण  के  बड़े  पुत्र )  का  हरण  कर  लिया   l  शंबरासुर   पाककला  में  निपुण  स्त्रियों  का  ही  अधिकतर  हरण  करता  था  l  उसकी  पाकशाला  सदैव  सजी  रहती  थी  l  उसे  खाने  का  बड़ा  शौक  था  l  वह  चाहता  था  कि  उसकी  पाकशाला  में  बढ़िया  से  बढ़िया  खाना  बने  और  उसे  खिलाया  जाये  l  वह  किसी  स्त्री  की  खूबसूरती  को  नहीं  देखता  था  ,  न  ही  उन्हें  हाथ  लगाता  था  ,  मात्र  उसका  पाककला  में  पारंगत  होना  जरुरी  होता  था   l  प्रद्दुम्न  ने  उस  असुर  को  मारकर    अगणित  स्त्रियों  को  मुक्त  कराया  l  मात्र  एक    इंद्रिय  ही  उस  असुर  के  पतन  का   कारण  बनी  ---- सुस्वादु  आहार  का  सेवन  l  दिन  रात  उसी  का  चिंतन   l