8 April 2020

WISDOM ------ प्रकृति के शोषण का परिणाम विभिन्न रूपों में सामने आता है

  प्राचीन  ऋषियों  ने  प्रकृति - पूजा   के  माध्यम  से  मनुष्य  को  प्रकृति  के  अनुकूल  जीवन  जीने  की  प्रेरणा  दी  थी  l   परन्तु  भौतिकता  की  अंधी  दौड़  व  चकाचौंध  ने   मनुष्य  को  प्रकृति  की  संतान  नहीं  ,  बल्कि  प्रकृति  के  लिए   शैतान  की  भूमिका  में  ला  खड़ा  किया  है  l   आज  प्रकृति  अपनी  ही  संतानों  द्वारा   विकास  के  नाम  पर  हो  रहे  कुठाराघात  से  आहत   है  l   मनुष्य  ने  अपनी  लालसा  और  स्वार्थ  के   कारण   नदी , तालाब , समुद्र , पेड़ - पौधे , वनस्पतियां  , तीर्थ स्थल ,  पशु - पक्षी  ,  धरती  समूचे  वायुमंडल  के  अस्तित्व  के  लिए  संकट  उपस्थित  कर  दिया  l   विज्ञानं  ने   मनुष्य  को  सुख - सुविधापूर्ण  जीवन  देने  के  लिए  जिन  आधुनिक  यंत्रों  का  निर्माण  किया  ,  दूसरे  देशों  पर  अपना  प्रभुत्व  ज़माने  के  लिए  मारक  अस्त्र - शस्त्र   और  संचार  के  आधुनिक  साधनों   आदि ---- इन  सबसे  निकलने  वाली  तरंगों  ने  मनुष्य  को  एक  नहीं  अनेकों  बीमारियां  दी  हैं  ,  पशु - पक्षी  और  वनस्पतियां  विलुप्त  होने  की  कगार  पर  हैं  l  दुनिया  के  सभी  अस्पताल   चाहें  वे  एक - से - एक   महंगे  हों  या  छोटे - मोटे   दवाखाने  हों   इस  विकास  के  बाद  हमेशा  ही  मरीजों  से  भरे  रहे  हैं  l
प्रकृति  ने  मनुष्य  को  समय - समय  पर  बहुत  संकेत  दिए  हैं   लेकिन  अपने  अहंकार  और  स्वयं  को   प्रकृति  से  भी  बड़ा  समझने  के  कारण   मनुष्य  ने  इन  संकेतों  की  गंभीरता  को  नहीं  समझा  इसलिए  प्रकृति   रौद्र  रूप  धारण  कर  के  विनाशकारी  तांडव  करने  को  बाध्य  हो  जाती  है  l
 मनुष्य  का  कल्याण  इसी  में  है  कि   वह  प्रकृति  का  सम्मान  करे  , प्रकृति  से  छेड़छाड़  न  करे ,  स्वयं  को  प्रकृति  के  अनुकूल  बनायें  l 

WISDOM ----- कर्मयोग

  श्रीमदभगवद्गीता  का  स्पष्ट  सन्देश  है  --- ' कभी  भी  कर्म  किये  बिना  न  रहो  l   बिना  कर्म  के  मनुष्य  का  कोई  अस्तित्व  नहीं  है  l   जो  कर्म  किये  बिना  जीता  है  ,  वह  अपने  अस्तित्व  को  खो  बैठता  है  l   जीवन  समर  में  सभी  प्रकार  की  उथल - पुथल  का  सामना  करते  हुए  जीना , सक्रिय   हो  उद्दमी  बने  रहना   ही  मनुष्य  को  शोभा  देता  है   कर्म  करो , सक्रिय   होकर  जियो  , निर्भय  होकर  रहो  एवं   परिश्रम  से  मत  डरो   l   जब  तक  जीवित  हो  वास्तव  में  जीवन  का   एक - एक  पल  जियो  l   कर्मों  द्वारा  ऊँचे  उठो  ,  कर्मों   द्वारा  ही  उन्नति  करो  ,  कर्मों  से  ही  अपना  विस्तार  करो  l 
  यदि  आज    की  परिस्थितियों  के  सन्दर्भ  में  हम  देखें   तो  हमारे  पवित्र  ग्रन्थ  गीता  में  भगवान    हमें  जीवन  जीने  की  कला   सिखा   रहे  हैं   कि   कैसे  विपरीत  परिस्थितियों  में  हम  सकारात्मक  कार्यों , सकारात्मक  चिंतन  से  स्वयं  को  सक्रिय   रखें  l