17 May 2020

WISDOM ---- जागरूकता जरुरी है

  लोभ  और  लालच  व्यक्ति  को  किस  सीमा  तक  गिरा  देता  है  ,  इसे  स्पष्ट  करने  वाली  एक  घटना  है  ----      एक   सेठ  था  ,  उसका  बहुत   बड़ा  व्यापार  था  ,  लेकिन  उसे  संतोष  न  था   l   और  अमीर  -- और  अमीर --- होना  चाहता  था   l  समाज  में  अपना  दबदबा  कायम  करने  के  लिए  उसने  कई  अस्पताल  खोले   l   दवा    बनाने  की  उसकी  कंपनियां  थीं   l   वह  हमेशा  ऐसी  तरकीब  सोचा  करता  था   कि   कैसे  जल्दी  से  जल्दी  और  अमीर  हुआ  जाये  l   अब  दवा  बनाने  के  व्यापार  में  एक  दुःखद   बात  यह  है  कि   जब  लोग  बीमार  होंगे  ,  अपनी  जिंदगी  के  लिए   भयभीत  होंगे   ,  तभी  दवा  बिकेंगी  l
  उस  सेठ  ने  एक  तांत्रिक  से  साथ - गाँठ  की  l    शहर में  बात  फैल   गई  और  लोग  उस  तांत्रिक  से  मिलने  आने  लगे  l  उसके  पास  कुछ  सिद्धि  थी  वह  हवा  से  कुछ  वस्तुएं  जैसे  छुआरा , किशमिश  आदि  प्राप्त  कर  लेता  और  लोगों  को  प्रसाद  के  रूप  में  देता  ,  सप्ताह  में  एक  दिन  आता     और    उनकी    समस्याएं  हल  कर  देता   l  साथ  ही  बताता  कि   किसी  पर  देवता  का  प्रकोप  है ,  किसी  पर   जिन्न   है  ,   भूत  - प्रेत  का  असर  है  l     लोग  भयभीत  रहने  लगे  ,  सोचते  देवता  के  प्रकोप  से  बीमार  हो  रहे  हैं   l
              तांत्रिक  की  खूब  आमदनी  होने  लगी    और  सेठ  का  व्यापार  भी  खूब  चमक  गया  l     तांत्रिक  के  पास   एक  दिन  कुछ  लोग  आये ,  उसने  उनकी  व्यथा - कथा  सुनी  और   अपनी  साधना  कर  ऊपर  हाथ  किया  , तो  उसके  हाथ  में  हलवा - पूड़ी  आ  गया  ,  जो  उसने  प्रसाद  में  बाँट  दिया  l   सामान्यत:  सब  लोग  वहीँ  प्रसाद  खा  लेते  थे  लेकिन  उनमे  एक  वृद्ध  था  ,  जो  पूड़ी  अपने  साथ  घर  ले  आया  l
  उसके  पास  एक  कपिला  गौ  थी  उसने  पूड़ी  उसके  सामने  खाने  के  लिए  रख  दी    और  अपने   कार्य  में  व्यस्त  हो  गया   l   थोड़ी  देर  बाद  आया  तो  देखा  पूड़ी  वैसे  ही    रखी  है   और  उस  पर  कीट - पतंगे  भिनक  रहे  हैं  l     दूसरे  सप्ताह  में  फिर  प्रसाद  में  पूड़ी  मिली  ,  वृद्ध  उसे  घर  ले  आया   और  गाय  को  बड़े  प्यार  से  खिलाना  चाहा  ,  लेकिन  गाय  ने  उसे  सूंघकर  छोड़  दिया  l   वृद्ध  का  माथा  ठनका  ,  किसी  विशेषज्ञ  को  दिखाया   तो  ज्ञात  हुआ  कि   उसके  ऊपर  कुछ  ऐसा  लेप  था   जो     शरीर  में  जाकर     धीरे - धीरे  शरीर  को  खोखला  कर  देता  था  ,  लोग  बीमार  हो  जाते  थे  l
अब  तांत्रिक  को  पकड़  कर  खूब  पिटाई  की  तब  उसने  बताया  कि   उसका  कुसूर  नहीं  है  ,  वह  सेठ  ऐसा  करने  को  कहता  था   कि    ऐसा  करो  कि   लोग  बीमार  पड़ें  ,  भय  से   उनका  मन  कमजोर  हो  जाये  , जिससे  उसका  व्यवसाय   चमक  जाये   -----------


WISDOM ------

  रूप , धन , पद , ज्ञान  , सत्ता , शक्ति  आदि  अनेक  ऐसे  कारण  हैं  जो  व्यक्ति  को  अहंकारी  बना  देते  हैं  l   लेकिन  इन  सबसे  ऊपर  एक  और  बड़ा  कारण  है   जो  समाज  में  तनाव  और  अशांति  उत्पन्न  करता  है  l   वह  है  ---   कुछ  लोगों    का  स्वयं  को  जन्म  से  श्रेष्ठ  समझने  का  भ्रम  l
मानवीय  कमजोरियाँ   सब  जगह  एक  सी  होती  हैं  l   हर  देश  , हर  समाज  में   ऐसे  लोग  हैं  जो  स्वयं  को  दूसरों  से  श्रेष्ठ  समझते  हैं   और  इस  अहंकार  की  वजह  से  वह    दूसरे  वर्ग  पर  अपना  आधिपत्य  चाहते  हैं   l   केवल  आधिपत्य  की  बात  हो ,  तब  भी  ठीक  है ,  लेकिन  इनके  मन  में  एक  अज्ञात  भय  होता  है  कि   जिस  वर्ग  को  हमने  अपने  से  हीन   समझा  ,  कहीं  वह   तरक्की  कर  उनसे  आगे  न  बढ़  जाये  l   इस  वजह  से  वे  उनकी  तरक्की , उनकी  खुशी ,  उनकी  चैन  की  जिंदगी  को  कभी   सहन  नहीं  करते  l   हमेशा  षड्यंत्र   या   ऐसा  कृत्य  करेंगे  ही  जिससे   दूसरा  पक्ष  उन्नति  न  कर  सके  l   जिसे  दीन - हीन   देखा  ,  उसे  अपने  बराबर  या  अपने  से  आगे  कभी  स्वीकार  ही  नहीं  कर  सकते  l
  जो   समाज - सुधारक ,  समाज  के  उपेक्षित  वर्ग   को  ऊँचा  उठाने  का  प्रयास  करते    हैं  ,  उन्हें  वे   रास्ते  से  हटाने  का  हर  संभव  प्रयास  करते  हैं  l   यह  स्थिति   हजारों  वर्षों  से  है  l 
     अब  वक्त  बदला   लेकिन  मानवीय  कमजोरियां  तो  वही  हैं  ,  अहंकारी  दूसरों  को  पीड़ित  करने  का  रास्ता  खोज  ही  लेता  है  l
 हमारे  ऋषियों  का , आचार्य   का  यही  शिक्षण  है  कि ---- हम  दूसरों  को  नहीं  सुधार  सकते  ,  स्वयं  का  सुधार  करना  ज्यादा  सरल  है   l    अपनी  शक्ति  को  पहचाने  l  आत्मविश्वासी  बनें  l