लोभ और लालच व्यक्ति को किस सीमा तक गिरा देता है , इसे स्पष्ट करने वाली एक घटना है ---- एक सेठ था , उसका बहुत बड़ा व्यापार था , लेकिन उसे संतोष न था l और अमीर -- और अमीर --- होना चाहता था l समाज में अपना दबदबा कायम करने के लिए उसने कई अस्पताल खोले l दवा बनाने की उसकी कंपनियां थीं l वह हमेशा ऐसी तरकीब सोचा करता था कि कैसे जल्दी से जल्दी और अमीर हुआ जाये l अब दवा बनाने के व्यापार में एक दुःखद बात यह है कि जब लोग बीमार होंगे , अपनी जिंदगी के लिए भयभीत होंगे , तभी दवा बिकेंगी l
उस सेठ ने एक तांत्रिक से साथ - गाँठ की l शहर में बात फैल गई और लोग उस तांत्रिक से मिलने आने लगे l उसके पास कुछ सिद्धि थी वह हवा से कुछ वस्तुएं जैसे छुआरा , किशमिश आदि प्राप्त कर लेता और लोगों को प्रसाद के रूप में देता , सप्ताह में एक दिन आता और उनकी समस्याएं हल कर देता l साथ ही बताता कि किसी पर देवता का प्रकोप है , किसी पर जिन्न है , भूत - प्रेत का असर है l लोग भयभीत रहने लगे , सोचते देवता के प्रकोप से बीमार हो रहे हैं l
तांत्रिक की खूब आमदनी होने लगी और सेठ का व्यापार भी खूब चमक गया l तांत्रिक के पास एक दिन कुछ लोग आये , उसने उनकी व्यथा - कथा सुनी और अपनी साधना कर ऊपर हाथ किया , तो उसके हाथ में हलवा - पूड़ी आ गया , जो उसने प्रसाद में बाँट दिया l सामान्यत: सब लोग वहीँ प्रसाद खा लेते थे लेकिन उनमे एक वृद्ध था , जो पूड़ी अपने साथ घर ले आया l
उसके पास एक कपिला गौ थी उसने पूड़ी उसके सामने खाने के लिए रख दी और अपने कार्य में व्यस्त हो गया l थोड़ी देर बाद आया तो देखा पूड़ी वैसे ही रखी है और उस पर कीट - पतंगे भिनक रहे हैं l दूसरे सप्ताह में फिर प्रसाद में पूड़ी मिली , वृद्ध उसे घर ले आया और गाय को बड़े प्यार से खिलाना चाहा , लेकिन गाय ने उसे सूंघकर छोड़ दिया l वृद्ध का माथा ठनका , किसी विशेषज्ञ को दिखाया तो ज्ञात हुआ कि उसके ऊपर कुछ ऐसा लेप था जो शरीर में जाकर धीरे - धीरे शरीर को खोखला कर देता था , लोग बीमार हो जाते थे l
अब तांत्रिक को पकड़ कर खूब पिटाई की तब उसने बताया कि उसका कुसूर नहीं है , वह सेठ ऐसा करने को कहता था कि ऐसा करो कि लोग बीमार पड़ें , भय से उनका मन कमजोर हो जाये , जिससे उसका व्यवसाय चमक जाये -----------
उस सेठ ने एक तांत्रिक से साथ - गाँठ की l शहर में बात फैल गई और लोग उस तांत्रिक से मिलने आने लगे l उसके पास कुछ सिद्धि थी वह हवा से कुछ वस्तुएं जैसे छुआरा , किशमिश आदि प्राप्त कर लेता और लोगों को प्रसाद के रूप में देता , सप्ताह में एक दिन आता और उनकी समस्याएं हल कर देता l साथ ही बताता कि किसी पर देवता का प्रकोप है , किसी पर जिन्न है , भूत - प्रेत का असर है l लोग भयभीत रहने लगे , सोचते देवता के प्रकोप से बीमार हो रहे हैं l
तांत्रिक की खूब आमदनी होने लगी और सेठ का व्यापार भी खूब चमक गया l तांत्रिक के पास एक दिन कुछ लोग आये , उसने उनकी व्यथा - कथा सुनी और अपनी साधना कर ऊपर हाथ किया , तो उसके हाथ में हलवा - पूड़ी आ गया , जो उसने प्रसाद में बाँट दिया l सामान्यत: सब लोग वहीँ प्रसाद खा लेते थे लेकिन उनमे एक वृद्ध था , जो पूड़ी अपने साथ घर ले आया l
उसके पास एक कपिला गौ थी उसने पूड़ी उसके सामने खाने के लिए रख दी और अपने कार्य में व्यस्त हो गया l थोड़ी देर बाद आया तो देखा पूड़ी वैसे ही रखी है और उस पर कीट - पतंगे भिनक रहे हैं l दूसरे सप्ताह में फिर प्रसाद में पूड़ी मिली , वृद्ध उसे घर ले आया और गाय को बड़े प्यार से खिलाना चाहा , लेकिन गाय ने उसे सूंघकर छोड़ दिया l वृद्ध का माथा ठनका , किसी विशेषज्ञ को दिखाया तो ज्ञात हुआ कि उसके ऊपर कुछ ऐसा लेप था जो शरीर में जाकर धीरे - धीरे शरीर को खोखला कर देता था , लोग बीमार हो जाते थे l
अब तांत्रिक को पकड़ कर खूब पिटाई की तब उसने बताया कि उसका कुसूर नहीं है , वह सेठ ऐसा करने को कहता था कि ऐसा करो कि लोग बीमार पड़ें , भय से उनका मन कमजोर हो जाये , जिससे उसका व्यवसाय चमक जाये -----------