यूनान का एक वृद्ध दार्शनिक अपने मित्र से बोला ----- "मैंने लोगों को सच्चाई और सदाचार की शिक्षा देने की योजना बनाई है l विद्यालय के लिए स्थान भी चुन लिया है , पर विद्या अध्ययन के लिए विद्यार्थी नहीं मिलते l मित्र व्यंग्य करते हुए बोले ---- " तो आप कुछ भेड़ें खरीद लीजिए और अपना पाठ उन्हें ही पढ़ाया करें l तुम्हारी इस योजना के लिए आदमी मिलने मुश्किल हैं l " हुआ भी कुछ ऐसा ही , कुल दो युवक आए l जिन्हे घरवाले आधा पागल समझते थे और मुहल्ले वाले सिरदर्द l वृद्ध ने उन्ही को पढ़ाना शुरू किया l दूसरे लोग कहा करते थे --- बुड्ढे ने मन बहलाने का अच्छा साधन ढूंढा l किन्तु यही दोनों इस बूढ़े विचारक से शिक्षा प्राप्त कर के जब पहली बार घर लौटे तो उनके रहन - सहन , बोलचाल , अदब - व्यवहार ने लोगों का हृदय मोह लिया l फिर तो जो विद्यार्थियों की संख्या बढ़नी शुरू हुई कि विद्यालय पूरा विश्वविद्यालय बन गया l पहले के दोनों छात्रों में एक यूनान का प्रधान सेनापति और दूसरा मुख्य सचिव नियुक्त हुआ l ये वृद्ध सुविख्यात दार्शनिक जीनों थे और उनकी पाठशाला ने ' जीनों की पाठशाला ' के नाम से विश्व -ख्याति अर्जित की l
29 March 2022
WISDOM -----
इस संसार में अहंकार , महत्वाकांक्षा , हुकूमत आदि अनेक कारणों से युद्ध होते रहे हैं l यह सब कारण बड़े स्पष्ट हैं l लेकिन इसे कलियुग का असर कहें या सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषण है जिसके कारण लोगों की मानसिकता विकृत हो गई है , धन- संपदा का लालच बहुत बढ़ गया है और इसे पाने के लिए व्यक्ति किसी भी स्तर तक गिर सकता है l '' एक तीर से दो शिकार " की मानसिकता है l जब मानसिकता विकृत हो तो वह किसी की सुख - शांति , उनका वैभव नहीं देख सकती l परिवार केवल अपनी ही गलतियों से नहीं टूटते l विकृत मानसिकता के अनेक लोग इसी कार्य में व्यस्त रहते हैं कि परदे की आड़ में रहकर कैसे किसी के परिवार को नष्ट कर दें l देखने में ऐसा प्रतीत हो कि पारिवारिक तनाव की वजह से , या किसी दुर्घटना आदि किसी भी वजह से वह परिवार बिखर गया फिर झूठी सहानुभूति रखने वालों को बड़ी आसानी से उनकी सम्पति पर कब्ज़ा करने का सुनहरा अवसर मिल जाए l इसमें गिद्ध प्रवृति भी होती है , आखिर मदद करने वालों का भी हिस्सा देना पड़ेगा l कलियुग का असर समूची धरती पर एक जैसा होता है , बड़े स्तर पर देखें तो एक पर्दा वहां भी है ,' एक तीर से दो शिकार ' वहां भी है l धर्म और अधर्म की तो कोई लड़ाई है नहीं l मानव जीवन की कोई कीमत नहीं है केवल लोभ - लालच है , जितने ज्यादा हथियार आदि बिकेंगे उतना ही फायदा होगा l पहले महामारी आदि की घोषणा नहीं होती थी कि अब हैजा आ रहा है , अब मलेरिया , अब टाइफाइड आ रहा है , ----- विज्ञानं का अब चमत्कार है , बीमारी परेशानी किसकी और धनपति कौन ? दोष किसी एक का नहीं है , जब संसार ऐसे अंधकार में आ जाता है कि उत्पीड़ित करने वाला और उत्पीड़ित होने वाला सभी तनाव में हों तब कुछ ऐसा अवश्य होता है कि संसार को समझ में आ जाये कि ईश्वर है , उसके यहाँ देर है , अंधेर नहीं l