26 June 2020

WISDOM ------

 साम्राजयवाद  एक  प्रकार  का  अभिशाप  है  ,  जो  लाखों  निर्दोष  लोगों  का   संहार  कर  डालता  है   और  लाखों  का  ही  घर - बार  नष्ट  कर   उन्हें  पथ  का  भिखारी  बना  देता  है   l   साम्राज्यवादियों  के  लिए   अकारण  ही  दूसरे  राजाओं  पर   आक्रमण  करना ,  उन  पर  चढ़  बैठना  और  उनका  राज्य  छीन  लेना   कोई  नई   बात  नहीं  है  l   सिकन्दर ,  चंगेज खां , नादिरशाह   जैसे  आक्रमणकारियों  के  काले - कारनामों  से  इतिहास  भरा  है  l  धीरे - धीरे  साम्राज्यवादियों  ने   दूसरे  देशों  पर  अपना  कब्ज़ा  जमाने   के  तरीकों  में  परिवर्तन  किया  ,     उन्होंने   व्यापार  के  माध्यम  से   दूसरे  देशों   में  प्रवेश  किया  ,  वहां  की  जनता  को   अपनी  वस्तुओं , अपनी  भाषा , अपने  रहन - सहन  के  तरीकों  की  आदत  डाल   दी   और  इस  तरह   अनेक  देशों  को  अपना  गुलाम  बना  लिया   और  जी  भरकर  लूटा  l
कमजोर  पर  अत्याचार  करना,  लूटमार   करना    भी  एक  प्रकार  का  नशा  है  ,  इसकी  आदत  छूटती   नहीं  बल्कि   वैज्ञानिक  प्रगति  के  साथ   अत्याचार  , अन्याय  के  तरीके  भी  बहुत  घातक  हो  जाते  हैं  ,  जो  बाहर   से   कल्याणकारी  दीखते  हैं  लेकिन  जख्म  बहुत  गहरा  करते  हैं   l   यदि   जनता   जागरूक  नहीं  है ,  उसकी  चेतना  सुप्त  है  ,  चुपचाप  सब  सहन  करती  है    तब  दोष  किसका  है  ? 
 पं. श्रीराम  शर्मा   आचार्य जी   वाङ्मय  ' मरकर  भी  अमर  हो  गए  जो  '  में  लिखते  हैं  --- '  धन  और  राज्य  की  लालसा  मनुष्य  को  न्याय - अन्याय  के  प्रति   अन्धा   बना  देती  है  l  लोभ  उसकी  आँखों  पर  ऐसी  पट्टी  बाँध  देता  है   कि   उसे  सिवाय  अपनी  लालसा  पूर्ति  के   और  कोई  बात  दिखाई  ही  नहीं  देती  l '  आचार्य  श्री  आगे  लिखते  हैं  ---- "  यों   तो   डाकू  दल  भी   अपनी  संगठित  शक्ति   और  अस्त्र - शस्त्रों   के  बल  पर  लूटमार  करते  हैं   और  अपने  को  बड़ा  बहादुर  समझते  हैं    पर  कभी  किसी  डाकू  का  अन्त   अच्छा  हुआ  हो ,  यह  आज  तक  नहीं  सुना  गया  l  '