3 February 2021

WISDOM ------ एक छोटी सी चूक का कितना बड़ा परिणाम

  हम  सब  इनसान   हैं   और  हम  सब  से  गलतियाँ    होती  है  l   कभी  - कभी  विवेकहीनता   के  कारण    एक  छोटी  सी  गलती   बहुत  बड़े  दंगे  में  बदल  जाती  है  l   इसे  ही  समझाने   के  लिए   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  एक  कहानी  कहते  हैं -----    कलिंग  देश  का  राजा  नाश्ते  में   दही  और  शहद  खा  रहा  था  l    अधिकारियों   से  आवश्यक  बातें  भी  कर  रहा  था  कि   थोड़ा  सा  शहद  जमीन  पर  गिर  गया   l   राजा  तो  दरबार  में  चला  गया   l   शहद  गिरने  से   जमीन  पर     बहुत मक्खियाँ   आ   गईं  l     उन  मक्खियों  को  खाने  के  लिए  बहुत  सी  छिपकली  आ   गईं  l   अब  उन  छिपकलियों  को  खाने  के  लिए  बिल्ली  आ  गई  l यह  सब  देख  कहीं  से  एक  कुत्ता  आ  गया  , उसने  बिल्ली  को  पकड़  लिया  l   नए  कुत्ते  को  अपने  क्षेत्र  में  आया  देख  मोहल्ले  के  चार -  पांच   कुत्ते  उससे   लड़ने  आ  गए   l   बिल्ली   तो भाग  गई  , वे  कुत्ते  आपस  में  बहुत  देर  तक  लड़ते  रहे  , एक - दूसरे  को  घायल  कर  दिया  l   इस  बीच  उन  कुत्तों  के  मालिक  आ  गए  l   अपने  कुत्ते  को  घायल  देख   वे  आपस  में  बहस  करने  लगे  ,  बात  बढ़   गई ,  उनमे   आपस में  मारपीट  हो  गई   l   वे  ब्राह्मण  और  ठाकुर  थे  l   ब्राह्मणों  को  पता  चला  कि   ठाकुर  ने  ब्राह्मण  को  पीट   दिया  ,  यह  अपमान  वे  सह  न  सके   l    पूरे   शहर  के  ब्राह्मण  और  ठाकुर  इकट्ठे  हो  गए   और  दंगा  हो  गया  l   शहर   में ऐसा  बलवा  देख   वहां  के  चोर - डाकुओं  को  मौका  मिल  गया  , उन्होंने  राजा  का  खजाना  लूट  लिया  l   यह  सब  देख  राजा  बहुत  दुखी  हुआ  ,  उसने  कमेटी   बिठाई   l   दंगा  क्यों   हुआ ,  इसकी  तह  में  जाने  के  लिए  योग्य  अधिकारियों   को  नियुक्त  किया  l   कमेटी   ने  रिपोर्ट   दी  तब  पता  लगा    कि   राजा  की  लापरवाही  से  शहद  गिर  गया  ,  उसी  की  वजह  से  यह  सब  दंगा  हुआ   l   ' इसलिए  आचार्य श्री  कहते  हैं   कि   यह  सारा  ढांचा  हमारी  विवेकशीलता  पर  टिका  हुआ  है  l 

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' यदि  संगठित  रूप  से   अत्याचार , अन्याय  का   प्रतिरोध  किया  जाए   तो  शक्तिशाली  बर्बरता  को  भी  परास्त  किया  जा  सकता  है   l   एक  कहानी  है -----  एक  पेड़  पर   चिड़िया  का  घोंसला  था   l   उसी  पेड़  के  नीचे  चींटी  का  बिल  भी  था  l   चींटी  और  चिड़िया  में  गहरी  दोस्ती  थी  l   उस  घोंसले  में  चिड़िया  के  छोटे - छोटे  बच्चे  थे  l  जब  चिड़िया  उन  बच्चों  के  लिए  दाना  लेने  जाती  तब  चींटी   वहीँ  पेड़  के  आसपास  रहकर   उसके  बच्चों  की   सुरक्षा  का  ध्यान  रखती  l   एक  दिन  चिड़िया  दाना  लेने  गई  हुई  थी  ,  तभी  वहां  से  एक  मदमस्त  हाथी   निकला  l   चींटी  ने  दौड़कर  उस  हाथी   को सचेत  किया   कि  तुम  इस  पेड़  से  दूर  होकर  निकलो  ,  इसमें  चिड़िया  के  घोंसले  में  छोटे  बच्चे  हैं  l लेकिन  हाथी  को  तो  अपनी  शक्ति  का  अहंकार  था  ,  उसने  चींटी  की  उपेक्षा  कर  दी  और  अपनी  सूँड   से  पेड़  को  जोर  से  हिला  दिया  ,  उसकी  कुछ  डालें  भी  तोड़  दीं  l   चिड़ियाँ  का  घोंसला  टूट  गया  ,  उसके  बच्चे  भी  गिरकर - दबकर  मर  गए  l  चींटी  बहुत  उदास  हो  गई  ,  जब  चिड़िया  आई   तो  सब  कुछ  बिखरा  हुआ  देखकर  दोनों  खूब  फूट -फूटकर  रोईं  l   फिर   दोनों ने   परस्पर  धैर्य  बँधाया   और  कहा  कि   ऐसे  रोने  से  काम  नहीं  चलेगा  l   आज  हाथी  ने  अपने  अहंकार  में  हमारा  घोंसला  तोड़ा  है  ,  कल  किसी  और  का  तोड़ेगा  l   दोनों  ने  मिलकर  उस  हाथी  को  ढूँढ़   लिया  ,  जब  हाथी  सैर  को  निकला   तो   चिड़िया  उसके  चारों  और  चीं - चीं   कर  उड़ने  लगी  l   हाथी  समझ  गया  ,  बोला --- तू  छोटी  चिड़िया  मेरा  क्या  बिगाड़ेगी ,  तुझे   तो  मैं      एक  ही  बार  में  कुचल  दूंगा  l   हाथी  अपने  अहंकार  में  था  ,  मौका  पाकर   चींटी  उसकी  सूँड   में  घुस  गई  l     अब  तो  हाथी  चिंघाड़ने   लगा  ,------ छोटी  सी  चींटी  ने  हाथी  को  परास्त  कर  दिया  l   वह  समझ  गया  कि   ईश्वर  ने  यदि  हमें   कोई  शक्ति  दी  है   तो  हमें  कमजोर  की  रक्षा  करनी  चाहिए  ,  उस  पर  अत्याचार  नहीं  करना  चाहिए   l