4 February 2019

WISDOM ----- न दैन्यं न पलायनं ----- श्रीमद् भगवद्गीता

 अर्जुन  महाभारत  के  महासमर  से  भागना  व  बचना  चाहते  थे   l  भगवान   श्रीकृष्ण  ने  उन्हें  समझाया ---- ऐसा  कर  के  तुम  कहीं  भी  चैन  से  न  बैठ  सकोगे   l  पाप  को  हम  न  मारें , अधर्म ,  अनीति  का  संहार  हम  न  करें  ,  तो  निर्विरोध  स्थिति  पाकर  ये  पाप ,  अधर्म ,  अनीति   हमें ,  हमारी  सामाजिक  व्यवस्था  को  मार  डालेंगे   l  इसलिए  जीवित  रहने  पर  सुख  और  मरने  पर   स्वर्ग    का   उभयपक्षीय   लाभ  समझाते  हुए   उन्हें  उठ  खड़े  होने  का  उद्बोधन  देते  हैं   l   आना - कानी   की  स्थिति  आने  पर   उन्होंने  अर्जुन  को  अनुशासनात्मक   निर्देश  दिया  ---- ' युद्धाय  कृतनिश्चय: '  अर्थात   अर्थात   निश्चित  रूप  से  युद्ध  करना  ही  चाहिए   l  
  कायरता  का   त्याग   अनिवार्य  है  l 
    नीतिशास्त्र  में    साम   की  तरह  दंड  को  भी   औचित्य   की  संज्ञा   दी  गई  है   l  समझाने  और  सज्जनता  की  नीति  हमेशा  सफल  नहीं   होती   l  दुष्टता  को  भय  की  भाषा  ही  समझ  में   आती  है   l 
  गुरु  गोविन्दसिंह  ने   अपने  समय  की  दुर्दशा  का  कारण  जन - समाज  की   आंतरिक  भीरुता  को  ही  माना   l  उनका  निष्कर्ष  था  कि   जब  तक  जन  आक्रोश  न  जागेगा   ,  शौर्य  व   साहस  की  पुन:  प्राण  प्रतिष्ठा   न  होगी  ,   तब  तक  पद दलित  स्थिति  से  उबरने  का  अवसर  न  मिलेगा   l