गायत्री महामंत्र मानवीय भावनाओं और विचारणाओं को परिष्कृत एवं श्रेष्ठ बनाता है । सुप्रसिद्ध मन: चिकित्सक एच . एफ . डन्बार ने कहा है कि जिनका अंतराल और मन: संस्थान श्रेष्ठ भावनाओं और सद्विचारणाओ से लबालब भरा रहता है , प्रसन्न और प्रफुल्ल रहना जिनकी प्रकृति बन जाती है , उनका शरीर सदैव स्वस्थ रहता है । बाह्य उपचार एवं औषधियों से भी जिन रोगों का उपचार नहीं हो पाता , अंत: करण एवं मन -मस्तिष्क तथा प्राण को परिष्कृत करने वाले गायत्री महामंत्र का नियमित जप रोगों का शमन करके स्थायी स्वास्थ्य प्रदान करता है ।
गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में जो शिक्षाएँ भरी पड़ी हैं , वे सभी ऐसी हैं कि उनका चिंतन -मनन करने वाले में अभिनव चेतना जाग्रत होती है । कल्याणकारी नीति पर चलने से मनुष्य को सुख -शांति प्राप्त होती है ।
गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में जो शिक्षाएँ भरी पड़ी हैं , वे सभी ऐसी हैं कि उनका चिंतन -मनन करने वाले में अभिनव चेतना जाग्रत होती है । कल्याणकारी नीति पर चलने से मनुष्य को सुख -शांति प्राप्त होती है ।