ईश्वर के बारे में लोगों की भिन्न - भिन्न धारणा है l दुर्बुद्धि के कारण आपस में लड़ाई - झगड़ा करने के लिए भी लोगों ने ईश्वर का बहाना बना लिया l धर्म और ईश्वर के आधार पर इस तरह लड़ने पर उतारू होते हैं जैसे उन्होंने ईश्वर को देखा है l वास्तव में लड़ाई - झगड़ा , युद्ध , विनाश के कार्य करना , यह सब मानसिक विकृति है , इसका खामियाजा मानव जाति को भुगतना पड़ता है l श्रीमद् भगवद्गीता का सन्देश मनुष्य समझे तो कम से कम लड़ाई का एक बहाना तो समाप्त हो जाये भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं -- मनुष्य चाहे जिस तरह से भगवान को अपनाते , उनसे प्रेम करते और आनंदित होते हों , भगवान उन्हें उसी तरह अपनाते , उनसे प्रेम करते और आनंदित होते हैं l ईश्वर तो एक ही हैं , लेकिन मनुष्य की जैसी भावना होती है वह उन्हें वैसा ही समझता है l सूरदास जी , मीरा , कंस , दुर्योधन आदि ने जैसी उनकी भावना थी , उसी रूप में उन्हें जाना l यह भी एक आश्चर्य की बात है कि दिन के तो वही 24 घंटे होते हैं उसी में व्यक्ति चाहे साधारण हो या समर्थ हो , शक्तिशाली हो उसके पास लड़ाई - झगड़ा , युद्ध जैसे नकारात्मक कार्यों को करने या कराने का कितना समय होता है l यह सबसे बड़ी दुर्बुद्धि है कि वह अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में नहीं लगाता l
26 January 2022
WISDOM -----
महर्षि दयानंद के एक शिष्य थे --- अमीचन्द्र l वे गाते भी बहुत अच्छा थे और तबला भी बजाते थे l पर उन्हें शराब पीने की बुरी लत थी l दूसरे शिष्यों ने उनसे कहा --- ' भगवन , इन्हे अपने साथ न रखें l इनसे हम सबकी प्रतिष्ठा गिरती है l स्वामी जी बोले --- " पहले यह गाता था , पेट के लिए व मनोरंजन के लिए l अब जब से हम से जुड़ा है , भगवान की खातिर उन्ही को सुनाकर गीत गाता है l यह स्वयं बदलेगा l " हुआ भी वही l प्रेरक प्रभु के सन्देश को फैलाने वाले गीत सुनाते - सुनाते अमीचन्द्र बदल गए , उनकी आदत भी छूट गई और समाज सुधार के कार्य में स्वामी जी के सहयोगी बने l
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