4 January 2019

WISDOM ------ मनुष्य बनें

 मदारी  के  हाथ  ,  बन्दर  को  वस्त्र - आभूषण  से  सजा  देते  हैं  इससे  वह  मनुष्य    नहीं  हो  जाता  l
' हड्डी , खून , मांस , विष्ठा    का   ढेर   मनुष्य   नहीं  हो  सकता ,   मनुष्य  वह  है   जिसके  ह्रदय  में  संवेदना  हो  जो  मनवता  की  कराहटें  सुनकर   बेचैन  हो  जाये   l 
  द्वितीय  विश्वयुद्ध  में   स्क्वाड्रन  लीडर  चार्ल्स  ग्रोव   मन  ही  मन  विचार  कर  रहा  था  कि  27 जुलाई  1945  की  यह  तारीख  कितनी  भाग्यशाली  है  जिसने  उसे  'ओकीनावा '  को  ध्वस्त  करने  का   श्रेय   दिया  l'  शत्रु - जल  रहा  था  l'  सफल  आक्रमण  के  लिए   द्वितीय  विश्वयुद्ध  की  सेनाओं  के  कमांडर  इन  चीफ  जनरल  ने  स्वयं  बधाई  सन्देश  भेजा  l 
  चार्ल्स  ग्रोव  ने   दुश्मन  की    चौकी  को  देखने  की  अनुमति  मांगी   ,  उसे  जीप  से  जाने  की  अनुमति  मिल  गई  l
  मार्ग  में  ही  दारुण  चीत्कारों ,  जले  हुए  मांस  की दुर्गन्ध  से  उसका  दम  घुटने  लगा  ----- ओह !  मानवता की  रक्षा     के  नाम  पर  उसने  जीते - जागते  मनुष्यों  को   भून  दिया  l   जीप  से  उतरा  वह  --- छोटे - छोटे  बच्चों  के   शव  को  देखकर  उसने  आँखें  बंद  कर लीं  l   कुछ  स्त्रियाँ  चीखती - चिल्लाती  उसकी  और  दौड़ी  आ  रहीं  थी    l  उनके  सिर के  बल  जल  गए  थे  ,  सारा  शरीर  काला  और  जगह - जगह  से  फट  गया  था  l   ग्रोव  को  चक्कर  आने  लगा  ,  उसके  भीतर  से  कोई  चिल्ला  रहा  था  --- " ये  अबोध  बच्चे ,  ये  सुकुमारी  युवतियां  ,  ये  सब  तुम्हारे  शत्रु  हैं  ,  तुमने  इन्हें  जला  दिया  ,  पिशाच  कहीं  के  ----
  पिशाच----  क्या  तुम  अभी  अपने  को  मनुष्य  समझते  हो --- ये  शब्द  उसकी  अंतरात्मा  में  गूंज  रहे  थे  ,  उसका  मानसिक  संतुलन  भंग  हो  गया  l  स्वदेश  लौट  आया  l  किसी  सुन्दर  शिशु ,  पुरुष , युवती  को  देखकर  ऑंखें  बंद  कर  लेता ,  उसके  हाथ - पैर  कांपने  लगते  ,  कभी  बडबडाता --- भागो -- भागो  पिशाच  आ  रहे  हैं  ,  अपने  बमों  से  संसार  को  भून  देंगे  l " 
तीन  महीने  तक  उसका  इलाज  चला  ,  स्वस्थ  हुआ  l  अब  उसे  एक  ही  धुन  थी  --- वह  मनुष्य  बनेगा  l  दो  पांवों  पर  चलने  वाला  जानवर  नहीं  l  दो  पांवों  पर  तो  वनमानुष  भी  चलता  है  l  वह  मनुष्य  बनेगा    जो  मानवता  की  कराहटें  सुन  कर  बेचैन  हो  जाये  और  मानवता  की  सेवा  के  लिए  अपना  सर्वस्व  दे  डालने  के  लिए  विकल  हो  जाये  l  
स्क्वाड्रन  लीडर  चार्ल्स  ग्रोव    अफ्रीका  के  जूलू  निवासियों  का  फादर  ग्रोव   हो  गया   l  वहां    उसने  द्वितीय  विश्वयुद्ध  के  अनुभवों  को  '  आहत  मानवता  की  कराहटों'   के  नाम    से  संजोया   l