10 January 2022

WISDOM ----

   कलियुग  का  सबसे  बड़ा  लक्षण  है   कि   इस  युग  में  मनुष्य  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है  ,  उसकी  आँखों  पर  अविवेक  का  पर्दा  पड़ा  रहता  है   l  जिस के  साथ  प्रेम  से  रहना  चाहिए  ,  उससे  वह  वैर  रखता  है   और  जिससे   दूर  रहना  चाहिए  , उसके  पीछे  भागता  है  l   इतिहास  में  यह  बात  स्पष्ट  है  कि   अंग्रेजों  ने   ' फूट   डालो  और  राज्य  करो '  की  नीति   से   विशाल  भारत  पर  लम्बे  समय  तक  राज्य  किया   l   अंग्रेजों  ने  हिन्दू  और  मुसलमान    दोनों  पर  हुकूमत  की ,  गुलामी  दोनों  ने  ही  सहन  की   लेकिन  आश्चर्य   !  दोनों  को  अंग्रेजों  से  कोई  शिकायत  नहीं  है  l   यह  हमारी  दुर्बुद्धि  थी  ,  हम  ' कान  के  कच्चे '   थे  ,  आपस  में  लड़  मरे   और  वे   तमाशा  देखते  रहे   और  अब  तक  लड़  रहे  हैं  l   यदि  हमारे  पास  सद्बुद्धि  होती    तो    कहते   यह   हमारा  घरेलु  मामला  है  ,  हमें  बहकाओ  मत  l   जैसे  महाभारत  में  युधिष्ठिर  ने  कहा  था  -- हम    कौरव , पांडव   आपस  में  चाहे  झगड़  लें  लेकिन  तीसरे  पक्ष  के  सामने  हम  एक  सौ   पांच    हैं  l   लेकिन  ईर्ष्या , द्वेष , लालच , महत्वाकांक्षा ,  ये  सब  दुर्गुण   व्यक्ति  को  विवेकहीन  कर  देते  हैं ,  उसे  सही - गलत  की  समझ  ही  नहीं  रहती  l   अंग्रेजियत  हम  पर   इतनी  हावी  है  कि   यह  फूट   डालने  वाली    नीति  अब  राजनीति   के  साथ  परिवारों  पर  भी  हावी  हो  गई  है  l   ईर्ष्या , द्वेष  के  कारण   लोग  किसी  को  सुख - चैन  से  नहीं  देख  सकते   l  किसी  की  सम्पति  पर  कब्ज़ा  करने  के  लिए  ,  अपना  कोई  स्वार्थ  सिद्ध  करने  के  लिए  लोग   दूसरों  के  परिवारों  में , रिश्ते  में  फूट   डलवा  देते  हैं ,  जहर  का  बीज  बो  देते  हैं  l  दुर्बुद्धि  यहाँ  भी  वैसी  ही  है  ,  जिन    रिश्तों  में  फूट   डाली  , वे  बिना  सोचे - समझे  आपस  में  वैर  रखते  हैं  और  जिसने   फूट   डलवाने  का  घृणित  काम  किया  उसके  प्रति  निष्ठा   रखते  हैं   l  हमें  यदि  अपने  परिवार ,  अपनी  संस्कृति  को  बचाना  है    तो  अपने  विवेक  को  जाग्रत  करना  होगा  ,  सद्बुद्धि  जरुरी  है   और  इसे  जाग्रत  करने  का  एक  ही  तरीका  है  ----  गायत्री  मन्त्र  l