सफलता के शिखर पर पहुंचना और प्रतिष्ठित होना हर कोई चाहता है , लेकिन विवेक के अभाव में अपार सफलता अहंकार को जन्म देती है और अहंकार पतन और विनाश की ओर धकेलता है l
इतिहास गवाह है कि सफलता के चरम पर पहुंचकर घमंड ने कितनों को पतन के कगार पर धकेला है l
रावण की महासभा में पहुंचकर हनुमानजी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि वैभव के शिखर पर बैठा रावण चाहता तो न जाने कितनों का कल्याण कर सकता था लेकिन सफलता के मद में चूर होकर वह अन्याय व अत्याचार करने लगा l विपुल वैभव और ऐश्वर्य के बव्ज्य्द उसका पतन हुआ l
इतिहास गवाह है कि सफलता के चरम पर पहुंचकर घमंड ने कितनों को पतन के कगार पर धकेला है l
रावण की महासभा में पहुंचकर हनुमानजी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि वैभव के शिखर पर बैठा रावण चाहता तो न जाने कितनों का कल्याण कर सकता था लेकिन सफलता के मद में चूर होकर वह अन्याय व अत्याचार करने लगा l विपुल वैभव और ऐश्वर्य के बव्ज्य्द उसका पतन हुआ l