' कुछ लोग पदाधिकार और शासन - सत्ता पा जाने पर यह मान लेते हैं कि उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य सुखोपभोग और आदेश चलाना रह गया है पर सम्राट हिरोहितो की मान्यता इससे भिन्न थी l उनका कहना था कि शासन की सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी का पालन करते हुए भी व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अंततः एक मनुष्य ही है , भगवान् नहीं l अत: मानवीय प्रतिभा के विकास का मार्ग किसी भी स्थिति में रुकना नहीं चाहिए l '
सम्राट हिरोहितो बसंत और वर्षा ऋतु में अपने खेतों पर अपने हाथ से काम करते थे l खेलकूद में उनकी रूचि थी , कुश्ती का अभ्यास करने के लिए उन्होंने क्रीड़ा- निर्देशक नियुक्त कर रखा था l हिरोहितो को पश्चिमी सभ्यता के रंग में लाने की कोशिश की गयी किन्तु ऐसी रंगीनी को उन्होंने ठुकरा दिया और अब तक चली आ रही परिपाटी को तोड़कर एक गरीब घर की सुशील कन्या को अपनी धर्मपत्नी चुना l सम्राट होकर हिरोहितो ने सामान्य किन्तु असाधारण जीवन जीकर यह दिखा दिया कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य सुखोपभोग नहीं है , समाज और स्वदेश की सच्ची सेवा करते हुए आत्म कल्याण करना है l
सम्राट हिरोहितो बसंत और वर्षा ऋतु में अपने खेतों पर अपने हाथ से काम करते थे l खेलकूद में उनकी रूचि थी , कुश्ती का अभ्यास करने के लिए उन्होंने क्रीड़ा- निर्देशक नियुक्त कर रखा था l हिरोहितो को पश्चिमी सभ्यता के रंग में लाने की कोशिश की गयी किन्तु ऐसी रंगीनी को उन्होंने ठुकरा दिया और अब तक चली आ रही परिपाटी को तोड़कर एक गरीब घर की सुशील कन्या को अपनी धर्मपत्नी चुना l सम्राट होकर हिरोहितो ने सामान्य किन्तु असाधारण जीवन जीकर यह दिखा दिया कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य सुखोपभोग नहीं है , समाज और स्वदेश की सच्ची सेवा करते हुए आत्म कल्याण करना है l