28 August 2020

WISDOM ------

 श्रीकृष्ण  द्रोपदी  से  कहते  हैं --- " कृष्णा  ! तुम्हारे  खुले  बालों  की  कीमत   सहस्त्रों  सैनिकों  की  बलि  नहीं  हो  सकती   l  दु: शासन  को  मारने  की  तुम्हारी  प्रतिज्ञा   से  मैं  बँधा   नहीं  हूँ   l  मैं  धर्म  की  संस्थापना  के  लिए  ,  अधर्म  का  निवारण  करने  के  लिए  आया हूँ  l 

  भगवान  कृष्ण  ने  हर  संभव  प्रयास  किए   कि   युद्ध  टल   जाये   लेकिन  दुर्योधन  अधर्म   और  अनीति    के  मार्ग  को  छोड़ने  के  लिए  राजी  नहीं  था  ,  वह  पांडवों  को  सुई  की  नोक  बराबर  भूमि  भी  नहीं  देना  चाहता  था   l   जब  युद्ध  भूमि  में  अपने  ही  परिवार  के  सदस्यों  को  सामने  देख  अर्जुन  ने   गांडीव  धनुष  जमीन   पर  रख  दिया    तब  भगवान  कृष्ण  ने  गीता  का  उपदेश  देकर  अर्जुन  को  समझाया   कि ----- ' पाप  को  हम  न  मारें ,  अधर्म , अनीति  का  संहार  हम  न  करें    तो  निर्विरोध  स्थिति  पाकर   ये  पाप , अधर्म   व  अनीति   हमें , हमारी  सामाजिक  व्यवस्था   को  मार  डालेंगे   l  '  इसलिए जीवित  रहने  पर  सुख   और  मरने  पर  स्वर्ग  का  उभयपक्षीय   लाभ  समझाते   हुए   उन्हें  युद्ध  के  लिए   उठ  खड़े  होने  का   उद्बोधन   देते  हैं   l