30 January 2024

WISDOM -----

   तुलसीदास जी  ने  कहा  है --- कर्म प्रधान  विश्व  करि  राखा  l  जो  जस   करहि   सो  तस  फल  चाखा  l                पंडित  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' बोओ  और  काटो  '  का  सिद्धांत  सारी  प्रकृति  में  देखने  को  मिलता  है  l  बबूल  का   बीज   बोकर  कोई  आम  नहीं  खा  सकता  l '    यह  कर्म फल  कभी  तो  तुरंत   इसी  जन्म  में  मिल  जाता  है  ,  परन्तु   कभी  ऐसा  होता  है  कि  दुष्ट  कर्म  करने  वाले   तो  सुखी  और  संपन्न  दिखाई  देते  हैं   तथा  त्यागी -तपस्वी  दुःखी  होते  हैं   तो  विश्वास  डगमगा  जाता  है  l  मनुष्य  सोचता  है  कि    जब  दुष्ट  व्यक्ति  आराम  का  जीवन  जीते  हैं   और  सज्जन  कष्ट  पा  रहे  हैं  तो  फिर  त्याग -तपस्या  का  जीवन  क्यों  जिएं  ?  यह  भावना  मनुष्य  को  उद्दंड  और  नास्तिक  बना  देती  है  l  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- यदि  झूठ  बोलते  ही  मनुष्य  की  जीभ  कटकर   गिर  जाती  ,  चोरी  करते  ही  हाथ  कट  जाते   तो  प्रत्येक  व्यक्ति  दुष्कर्म  करने  से  डरता  l  परन्तु  जब  कर्मों  का  फल  दूसरे  किसी  जन्म  में  मिलता  है  तो  मनुष्य  आस्थाहीन  हो  जाता  है  l  लेकिन  यह  निश्चित  है  ---- ईश्वर  के  घर  देर  है  , अंधेर  नहीं  l  ----- एक  स्त्री  नि:संतान  थी  l  किसी  तांत्रिक  ने  उसे  बताया  कि   यदि  वह  किसी  बच्चे  की  बली  दे  देगी   तो  उसके  संतान  होगी  l  उसने  दूर  गाँव  के  एक  गरीब  बच्चे  को  मरवाकर  गड़वा  दिया    और  ईश्वर  की  लीला  ऐसी  कि  उसके  दो  सुन्दर  लड़के  हुए  ,  बहुत  होनहार  थे  l  उस  स्त्री  के  क्रम  का  जिन्हें  पता  था  ,  वे  सब   यही  कहते  कि  देखो  इस   औरत  ने  कितना  नीच  कर्म  किया   और  भगवान  ने  इसको  सजा  देने  के  बदले   दो -दो  बेटे  दिए  l  ईश्वर  के  यहाँ  अंधेर  है  !  बच्चे  बड़े  हुए , बहुत  सुन्दर , पढ़ने   में  होशियार  ,  लेकिन  एक  दिन  दोनों  नदी  में  नहा    रहे  थे  ,  अचानक  एक  का  पैर  फिसला  ,  दूसरा  उसे  बचाने  के  लिए   आगे  बढ़ा   तो  वह  भी  संभल  नहीं  सका   और  दोनों  नदी  में  डूब  गए  l  अब  वह  स्त्री  रो -रोकर  सबसे  यही  कह  रही  थी   कि  भगवान  ने  मेरे  पाप  की  सजा  मुझे  दे  दी  l  ईश्वर  के  यहाँ  देर  है , अंधेर  नहीं  l