देवता और असुर इस संसार में शुरू से हैं l मनुष्य की दुष्प्रवृत्तियाँ ही उसे असुर बनती हैं l यह असुरता तब और बढ़ती जाती है जब न्याय व्यवस्था कमजोर होती है , लोगों को दंड का भय नहीं होता हृदयहीनता , बर्बरता ही असुरता है इसे अपराध , आतंक कोई भी नाम दिया जा सकता है l यह एक प्रकार की मानसिक विकृति है , आपराधिक प्रवृति के लोग इसे घटिया और वीभत्स हथकंडों के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं l ऐसी विकृति का परिणाम सम्पूर्ण समाज को भुगतना पड़ता है l
5 October 2021
WISDOM------
संस्कार नहीं बदलते l बाह्य रूप से मनुष्य स्वयं को कितना भी सभ्य , सुसंस्कृत दिखाने की कोशिश करे लेकिन अपने कार्यों से , अपनी बोली , अपने तौर - तरीके से वह स्वयं को प्रकट कर देता है , स्पष्ट हो जाता है कि उसके संस्कार कैसे हैं ? एक बोध कथा है -------- एक सधा हुआ ऊंट था l नक्कारखाने का कोई उत्सव होता तो उसकी पीठ पर नगाड़ा लाड कर चोबदार उसे बजाता हुआ चलता l ऊँट बहुत बूढ़ा हो गया l काम का न रहा तो उसे खुला छोड़ दिया गया , राजा का होने से कोई उसे मारता न था l ऊँट एक दिन किसी बुढ़िया के सूखते हुए अनाज को खाने लगा l बुढ़िया ने सूप बजाकर भगाना चाहा l ऊँट ने कहा ---- " जन्म भर नगाड़ों की आवाज सुनता रहा हूँ l तुम्हारे सूप से क्या डरने वाला हूँ l " आयु बीत जाने पर भी सारे जीवन भर के संस्कार छाये रहते हैं , किसी शिक्षा , किसी भी बात का कोई असर ही नहीं पड़ता l