2 March 2024

WISDOM -----

   महाभारत  में   भगवान   श्रीकृष्ण   युधिष्ठिर  से  कहते  हैं  ---- जीव  अकेले  जन्म  लेता  है , अकेले  मरता  है   तथा  अकेले  ही  पाप , पुण्य  का  फल  भोगता  है  l  भगवान  कहते  हैं --- मनुष्य  बहुत  बड़े  भ्रम  में  है  कि  हमारे  कुटुम्बी   और  साथी  सदा  हमारे  साथ  रहेंगे   तथा  पाप  , पुण्य  के  फल  भोग  में  हमारा  साथ  देंगे  l  किन्तु   यह  संभव  नहीं  है   l    डाकू  रत्नाकर  को  भी  यह  भ्रम   हो  गया  था  l  वह   अपने  कुटुम्बियों  को  सुख  पहुँचाने  के  लिए  डाके  डाला  करता  था   और  सोचता  था  कि  इस  पाप  में  मेरे  परिवार  वाले  भी  साझीदार  बनेंगे  l   एक  बार   नारद जी  के कहने  पर   उसने  अपने  परिवार  वालों  से  पूछा    किन्तु  उन्होंने  पाप  कर्मों   और  उसके  परिणामों   में  अपनी  हिस्सेदारी  से   इनकार  कर  दिया  , तब  कहीं  रत्नाकर  का  मोह  भंग  हुआ   l  वह  दुष्कर्मों  से  विरत  होकर   सत्कर्मों  द्वारा   डाकू  से  महर्षि  वाल्मीकि  बन  गया  l 

WISDOM -----

   लघु -कथा -----1 ,    एक  व्यक्ति  एक  ज्योतिषी  के  पास  गया   और  अपने  भविष्य  के  बारे  में  पूछने  लगा  l  ज्योतिषी  ने  कहा ---- " तुम्हारे  सभी  संबंधी   तुम्हारे  देखते -देखते  मर  जाएंगे   और  तुम  अकेले  ही  रह  जाओगे  l "  यह  सुनकर   वह  मनुष्य   बहुत  गुस्से  में  हो  गया  l  ज्योतिषी  पिटाई  से  तो  बच  गया   लेकिन  दक्षिणा   भी  गई  l  यही  व्यक्ति  फिर  दूसरे  ज्योतिषी  के  पास  गया  l  उस  ज्योतिषी  ने  बताया ---- " भाई  !  , आपकी  उम्र  बहुत  है  l  आप  बहुत  समय  तक   जियेंगे  , आप  अपने  नाती -पोतों  को  भी  पढ़ा -लिखा  सकेंगे   और  उनकी  शादी  करेंगे  l "  वह  मनुष्य  बहुत  खुश  हुआ   और  पर्याप्त  दक्षिणा  भी  ज्योतिषी  को  दी  l   कटुवचन  सबके  लिए  हानिकारक  होता  है  l  इस  ज्योतिषी  ने  वही  बात  को  सुलझे  हुए  ढंग  से   कहा  l  

2.    एक  राजा  ने  दो  मालियों  को  एक -एक  बगीचा  सौंप  दिया  l   उनकी  रखवाली  सुरक्षा  का  भार   उन  पर  डालकर  निश्चिन्त  हो  गया  l  उनमें  से  एक  राजा  को  भगवान  मानकर  पूजा  किया  करता  था  l   उसने  बगीचे  में  एक  कुटी   बनाकर   राजा  की  मूर्ति   की  पूजा  करना  शुरू  कर  दिया  ,  वह  दिन -रात  इसी  में   व्यस्त  रहता  l   दूसरा  माली  अपने   कर्तव्य  और  उत्तरदायित्व  को  समझकर   दिन -रात  बगीचे  की  देखभाल  में  लगा  रहता  l  बहुत  समय  बाद  राजा  आया   , उसने  देखा  कि  एक  बगीचा   सूखा  पड़ा  है   और  दूसरा  हरा -भरा  है  l  राजा  ने  दूसरे  माली  को   राज्य  के  सभी  बगीचों   और  उत्पादन  केन्द्रों  का  संचालक  बना  दिया   और  पहले  वाले  माली  को  देश  निकाला  दे  दिया  l    इस  कथा  की  शिक्षा  यही  है  कि  ईश्वर  को   नाम  -स्मरण   के  साथ   उसके  कार्यों  के  प्रति  लगनशील  रहकर  ,  अपने  दायित्व  का   ईमानदारी  से  पालन  कर  के  ही  प्रसन्न  किया  जा  सकता  है  l