18 April 2021

WISDOM -------

  मनुष्य  की  मुसीबतों  का  सबसे  बड़ा  कारण  है  कि   आज  मनुष्य  नास्तिक  हो  गया  है  l  विज्ञानं  ने  जो  प्रगति  की  है    उसका  अहंकार  मनुष्य  को  हो  गया  है   और  वह  स्वयं  को  भगवान  समझने  लगा  है  l  यही  कारण  है  आज  समाज  में  तनाव , आत्महत्या ,  आतंक , अपराध , अकाल मृत्यु ,  बीमारी , महामारी ,  आपदाएं  बढ़  गई   हैं   l '  भगवान '  का  अर्थ  है  ---- सद्गुणों  का  सम्मुच्य  '  l   लेकिन    वैज्ञानिक    आविष्कार  यदि  मानव  समाज  को  नुकसान  पहुंचा  रहे  हैं  ,    तो  हमें  यह   समझना  होगा     कि   हम  अब  भगवान  किसे  माने  क्योंकि  ईश्वर   की  प्रत्येक  देन   पवित्र  है  l   ईश्वर  ने  हमें  शुद्ध  हवा  दी  है   यदि  हम  उसे  न  लेकर   मानव  निर्मित   किसी  डिब्बे  से  हवा  लेंगे  तो  यह  हमारा  कुसूर  है  l   माँ  ,  चाहे   वह  इनसान   हो  या  पशु - पक्षी  ,  जब  वह  बच्चे  को  अपना  दूध  जो  ईश्वरीय  देन     है  , पिलाती  है  तभी  बच्चा  स्वस्थ  रहता  है  l   यदि  मानव  निर्मित  डिब्बे  का  दूध  पिलायेंगे  तो  बच्चा   उतना स्वस्थ  नहीं  होगा  l   ईश्वर  की   यह  देन   कितनी  आश्चर्यजनक  है   कि   एक  से  एक  गरीब , भूखी - प्यासी  रहने  वाली  माताओं  के  स्तन  में  बच्चे  को  पिलाने  के  लिए  दूध  आ  जाता  है    लेकिन  अनेक  ऐसी  माताएं  भी  हैं   जो  बहुत  अमीर  हैं  ,  खाने - पीने  की  कोई  कमी  नहीं  है   ,  वे    ईश्वर   की   इस   देन   से  वंचित  रह  जाती  हैं   फिर  उन्हें   अन्य  उपायों  का  सहारा  लेना  पड़ता  है   l  संसार  में  आज  जितनी  समस्याएं  हैं   उसका  कारण  अमीरों  की  तृष्णा  है   जो  कभी  पूरी  नहीं  होती  ---  नशा  बेचने  वाला  चाहेगा   कि   उसका   ज्यादा  से ज्यादा  माल   बिक  जाये  जिससे   उसकी अमीरी  बढ़  जाए ,  हथियार   का व्यापारी   चाहेगा कि   खूब  दंगे - फसाद  हो  ,   युद्ध का खतरा  रहे  ताकि  माल  बिके ,   दवा  विक्रेता  चाहेगा   अधिक   से अधिक  लोग  बीमार  पड़ें  ताकि   दवाई  बिकेँ ,  फिल्म   वाले चाहेंगे  कि   कितने   अपराध के   और अश्लील  दृश्य  डालें   कि   करोड़ों  की  आमदनी  हो  जाये  ,  रासायनिक  खाद  वाले  चाहेंगे  कि   चाहे  लोगों  का  शरीर  जहरीला  हो  जाये    उनकी खाद  और  कीटनाशक  बिक  जाएँ  l   यह  सब  इसलिए  है  क्योंकि  आम   जनता जागरूक  नहीं  है   और  चतुर  लोग  मनुष्य  की  कमजोरी   का फायदा  उठाना  जानते  हैं  l   सुख - शांति  से  जीवन  जीने  का  एक  ही  रास्ता  है    कि   हम  ईश्वरविश्वासी  ( आत्मविश्वासी ) बनें  और  सद्बुद्धि   की प्रार्थना  करें   l 















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         उउउउप['

   एक  गाँव  की  कहानी  है  --- वहां  एक  सूदखोर   जो  लोगों  को  धन  उधार  देता   रहता  था  l   वह  चाहता    बहुत  धनवान  हो  जाये   जिससे  बहुत  बड़े  क्षेत्र  में  धन  उधार   दे  सके   और  उसका  ब्याज  इतना  अधिक  आए   कि   वह  उससे  फिर   और   उधार  दे  l   इस  क्षेत्र  में  उसका  खूब  नाम  हो  l  वह  चाहता  था  कि   कोई  ऐसा  तरीका  हो  जिससे  वह  शीघ्र  धनवान  हो  जाये  l   इसके  लिए   उसने बहुत  साहित्य  का , धर्मग्रंथों  का  अध्ययन  किया  l   वह  मनुष्य  की  कोई   ऐसी  कमजोरी  जानना  चाहता  था    जो  सम्पूर्ण  मानव  समाज  की  हो  l  बहुत  अध्ययन  के  बाद  समझ  में  आया  कि   प्रत्येक  मनुष्य   चाहे  वह  अमीर  हो  या  गरीब , ऊंच  हो  या  नीच  , सब  जीना   चाहते हैं   l   बहुत  बड़ी  आयु  तक  भी  सुख -भोग  भोगना  चाहते  हैं  l   अब  उसे  रास्ता  मिल  गया  l   उसने  साधु  का  वेश  धरा  और  अपने  अनेक  चतुर  साथियों  को  गाँव - गाँव  में  भेजा  l   उन्होंने  प्रचार - प्रसार  किया  कि   हमारे  साधु  बाबा   के  पास  ' अक्षय पात्र ' है   उसमे  से   उनके  दिए  जल  को  पीने  से  व्यक्ति  की  आयु  सौ   वर्ष  और  बढ़  जाएगी  तथा  वह    स्वस्थ होकर  दीर्घ  अवधि  तक   आनंद   से  रहेगा   l   अब    उसके  दरवाजे  पर  भीड़  लगने  लगी  l   उस  सूदखोर  साधु  के  साथ  एक  छोटा  लड़का  था   , वह  लोगों  के  सामने  उस  छोटे  लड़के  के  हाथ , गर्दन  या  माथे  पर  एक  कीप   लगाकर     कुछ  बुदबुदाता  तो  कीप  में   पता  नहीं  कहाँ  से  पानी  गिरने  लगता  जिसे  वह  अक्षय पात्र  में  रखता   और  इच्छुक  लोगों  को  पिलाता  l   अब  क्या   था  धंधा  चल  निकला  l   वह  कहता   ---सौ   वर्ष  आयु   में  वृद्धि  करनी  है  तो  कुछ  कष्ट  तो  सहन  करना  ही  पड़ेगा  , इसके  लिए  वह  तरह - तरह   की दवाइयां  देता  l   वह  धनवान  होता   गया  और  लोग   बीमार , बुझे  हुए  चेहरे  और  अमानवीय  लक्षणों   से ग्रस्त  होने  लगे  l   अपनी  अज्ञानता  के  कारण  और  दवाइयां  उससे  लेते  और  अपने  शरीर   को गलाकर   उस  सूदखोर  को  और  अमीर  बनाने   में अपना  भरपूर  योगदान  देते   l    उसी  गाँव  का  एक  नवयुवक  जो  अध्ययन  के  लिए   दूर  किसी  नगर  में  गया  था  ,  जब  लौटा  तो  उसने  देखा   चारों  ओर   मौत  का  सन्नाटा  है  , खुशियां  जैसे  ख़त्म  हो   गईं ,  लोगों  के  चेहरे  अजीब  से  हो  गए  l   लोगों  से  पूछा  तो   उन  अज्ञानी  लोगों  ने   उस  बाबा  की   बहुत तारीफ  की   कि   वह  हमें  दवाई  भी  देता  है ,  धन  उधार  भी   देता है  ,  इस  गाँव  पर   कोई प्रकोप  हो  गया  

WISDOM ------- मन से दुर्भावनाएं दूर न हुईं तो फिर गंगा स्नान किस काम का ?

     कबीर दास  जी  के  जीवन  का  प्रसंग  है  ---- प्रात:  का  समय  था  l  भक्त  लोग  स्नान  कर  रहे  थे  l   कुछ  ब्राह्मण  भी  गंगा  स्नान  करने  आए  l   पानी  काफी  गहरा   था इसलिए  घुसकर  स्नान  करने  का  साहस  नहीं  हो  रहा  था   l   एक  किनारे  पर  संत  कबीर  स्नान  कर  रहे  थे  l    उन्होंने  देखा  तो  अपना  लोटा  मांज - धोकर   एक  व्यक्ति  को  दिया   और  कहा  कि   जाओ , ब्राह्मणों  को  दे  आओ   ताकि  वे  भी  सुविधा  से  स्नान  कर  सकें   l   कबीर  का  लोटा  देखकर   ब्राह्मण  चिल्ला  उठे  --- " अरे  !  जुलाहे  के  लोटे  को  दूर  रखो   l  "  कबीर  बोले  --- " इस  लोटे  को  कई  बार  मांजा   और  गंगाजल  से  धोया   फिर  भी  पवित्र  नहीं  हुआ  ,  तो  यह  मानव  शरीर   जो  दुर्भावनाओं  से  भरा  है  ,  गंगाजी  में  स्नान  करने  से  कैसे  पवित्र  होगा   ? "  कबीर  के  ये  शब्द  सुनकर   ब्राह्मण  बड़े  लज्जित  हुए    और  एक  दूसरे  का  मुंह  ताकने  लगे   l