चुनौतियाँ जीवन में अनायास आती हैं , जो इन चुनौतियों से भागते हैं , पलायन करते हैं वे चुनौती को देखते ही से तनावग्रस्त हो जाते हैं । चुनौतियों का सही आकलन न कर पाने के की तरह और अपनी क्षमता तथा सामर्थ्य से अनभिज्ञ होने के कारण भी तनाव जन्म लेता है ।
हमारे पास अनगिनत सामर्थ्य है , इनमे से प्रमुख है -हमारी भावना , ज्ञान एवं व्यवहार की शक्ति । जो चुनौतियों का सामना करते हैं , उनके पीछे उनकी शक्तियों की आधारशिला है । ऐसे व्यक्ति तनाव में घिरकर भी तनावमुक्त रहते हैं । वे तनाव से निजात पाने के तरीके ईजाद कर लेते हैं ।
चार्ल्स डार्विन बीस वर्षों तक बुखार से पीड़ित थे , परंतु इस बुखार को नजरअंदाज करके उन्होंने संसार में पाये जाने वाले जीव -जंतुओं की प्रजातियों की कष्ट साध्य खोजबीन की और इसी का परिणाम था कि वे ' ओरिजिन ऑफ़ न्यू स्पेशिज' नामक कालजयी ग्रंथ की रचना कर सके ।
महान आयुर्वेदाचार्य ऋषि यदि चुनौतियों को नहीं स्वीकारते तो सामान्य व्यक्ति की तरह अपने रोग से आक्रांत रहते । अपने शरीर पर असाध्य घाव एवं उनकी असहनीय पीड़ा से पीड़ित वन -वन भटके और बिना ठहरे समाधान खोजते रहे । अंतत: उनकी पीड़ा से संवेदित होकर सारे वनस्पति -जगत अपने गुण -धर्मों को स्वत: प्रकट करने लगे और उनने चरक -संहिता का रूप लिया , जो चिकित्सा के क्षेत्र में प्रकाश स्तम्भ के समान खड़ा सर्वत्र आलोक फैला रहा है ।
इन्होने चुनौतियों को स्वीकारा और उनसे उबरने एवं जूझने की कुशलता पायी और संसार को भी इससे परिचित कराया । तनाव से जूझना एवं उससे नई कुशलता प्राप्त करना एक शूरवीर एवं साहसी का कार्य है ।
हमारे पास अनगिनत सामर्थ्य है , इनमे से प्रमुख है -हमारी भावना , ज्ञान एवं व्यवहार की शक्ति । जो चुनौतियों का सामना करते हैं , उनके पीछे उनकी शक्तियों की आधारशिला है । ऐसे व्यक्ति तनाव में घिरकर भी तनावमुक्त रहते हैं । वे तनाव से निजात पाने के तरीके ईजाद कर लेते हैं ।
चार्ल्स डार्विन बीस वर्षों तक बुखार से पीड़ित थे , परंतु इस बुखार को नजरअंदाज करके उन्होंने संसार में पाये जाने वाले जीव -जंतुओं की प्रजातियों की कष्ट साध्य खोजबीन की और इसी का परिणाम था कि वे ' ओरिजिन ऑफ़ न्यू स्पेशिज' नामक कालजयी ग्रंथ की रचना कर सके ।
महान आयुर्वेदाचार्य ऋषि यदि चुनौतियों को नहीं स्वीकारते तो सामान्य व्यक्ति की तरह अपने रोग से आक्रांत रहते । अपने शरीर पर असाध्य घाव एवं उनकी असहनीय पीड़ा से पीड़ित वन -वन भटके और बिना ठहरे समाधान खोजते रहे । अंतत: उनकी पीड़ा से संवेदित होकर सारे वनस्पति -जगत अपने गुण -धर्मों को स्वत: प्रकट करने लगे और उनने चरक -संहिता का रूप लिया , जो चिकित्सा के क्षेत्र में प्रकाश स्तम्भ के समान खड़ा सर्वत्र आलोक फैला रहा है ।
इन्होने चुनौतियों को स्वीकारा और उनसे उबरने एवं जूझने की कुशलता पायी और संसार को भी इससे परिचित कराया । तनाव से जूझना एवं उससे नई कुशलता प्राप्त करना एक शूरवीर एवं साहसी का कार्य है ।