17 April 2023

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " नियत  के  अनुसार   नियति  होती  है  l  नियति  कर्मों  का  परिणाम  होती  है  l  जैसा  हम  सोचते  हैं   एवं  करते  हैं ,   वैसी  ही   हमारी  नियति  होती  है  l  सतत  सत्कर्म ,  सदाचरण   एवं   सद्भाव  के  द्वारा हमारी  नियति  श्रेष्ठता  से  परिपूर्ण  हो  जाती  है  l  लेकिन  इसके  विपरीत  स्थिति  में  नियति  अत्यंत   कष्टसाध्य  बन  जाती  है  l "       महाभारत  में  पांडवों  के  साथ  तो  भगवान  श्रीकृष्ण  थे   लेकिन  कौरव  सदा  से  षड्यंत्रकारी , फरेबी , झूठे  व  अहंकारी  थे  l   उनके  जीवन  का  उदेश्य  दूसरों  को  तरह -तरह  से  परेशान  करना   और   स्वयं   को  स्थापित  करना  था l   पांडवों  के  साथ  निरंतर  छल -कपट  और  षड्यंत्र  कर  के , भरी  सभा  में   अपनी  ही   कुलवधू  महारानी  द्रोपदी  का  अपमान  कर  के   दुर्योधन  ने  स्वयं  ही  कौरव  वंश  के  विनाश  की  नियति  लिख  ली  थी   l  नियति  के  अनुरूप  कौरव  मिट  गए   और  पांडवों  को  विजय  प्राप्त  हुई  l  अनीति  और  अत्याचार  जो  करता  है  , वह  तो  डूबता  ही  है  , जो  उसके  साथ  जुड़े  होते  हैं , वह  उन  सबको  ले  डूबता  है  l   किसी  भी  जाति  या  धर्म  में  पैदा  होना  व्यक्ति  के  वश  की  बात  नहीं  है  ,  लेकिन  श्रेष्ठ  कर्मों  से  , पवित्र  भावनाओं  से   और  छल -कपट  रहित  जीवन  से  हम  अपनी  श्रेष्ठ  नियति  का  निर्माण  कर  सकते  हैं  l