6 April 2024

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " पतन  एक  सहज  गतिक्रम  है  ,  उठना  पराक्रम  है  l  पानी  नीचे  की  ओर  बड़ी  तेजी  से  बहता  है  लेकिन  यदि  ऊपर  चढ़ाना  हो  तो  उसके  लिए  विशेष  प्रयास  करना  पड़ता  है  l   अचेतन  की  पाशविक  प्रवृत्तियां  बार -बार  मनुष्य  को  घसीटकर   विषयी  बनने   की  ओर  प्रवृत्त  करती  हैं  l  यह  मनुष्य  पर  निर्भर  है  कि   वह  इन  पर   किस  प्रकार  अंकुश  लगा  पाता  है   और  प्राप्त  सामर्थ्य  का  सदुपयोग  कर  पाता  है  l  "     रामकृष्ण  परमहंस  कहा  करते  थे  ,-- दो  प्रकार  की  मक्खियाँ  होती  हैं  l  एक  तो  शहद  की  मक्खियाँ  ,  जो  शहद  के  अतिरिक्त  और  कुछ   भी  नहीं  खातीं  और   दूसरी  साधारण  मक्खियाँ  ,  जो  शहद  पर  भी  बैठती  हैं   और  यदि  सड़ता  हुआ  घाव  दिखलाई  पड़े  ,  तो  तुरंत  शहद  को  छोड़कर   उस  पर  भी  जा  बैठती  हैं  l  इसी  प्रकार  दो  तरह  के  स्वभाव  के  लोग  होते  हैं  l  एक , जो  ईश्वर  में  अनुराग  रखते  हैं  ,  वे  ईश्वर  चर्चा  के  सिवाय   कोई  दूसरी  बात  करते  ही  नहीं  ,  और  दूसरे  वे  लोग  होते  हैं   जो  संसार  में  आसक्त   जीव  हैं  ,  वे  ईश्वर  की  बात  सुनते -सुनते    यदि  किसी  स्थान  पर   विषय  की  बातें  होती  हों  ,  तो  तुरंत   भगवान  की  चर्चा  छोड़कर    उसी  में  संलग्न  हो  जाते  हैं   l                                                                                पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- "  संस्कारों  में  परिवर्तन  करना  आसान  नहीं  है  l  ईश्वर ,  आत्मा , कर्मफल , पुनर्जन्म   जैसी  मान्यताएं    मनुष्य  को   संयमी , सदाचारी ,  कर्तव्यपरायण  एवं  उदार   बनने   की  प्रेरणा  देती  हैं  l   व्यक्तिगत , सामाजिक , संस्कृतिक  उत्थान   इन्ही  तत्वों  के  सहारे  संभव   होता  है  l  यदि  सत्प्रवृत्तियाँ  न  हों  तो   बुद्धि  कौशल  के  रहते   आदर्शहीन  व्यक्ति   केवल  पिशाच    ही  बन   सकते  हैं   l  "