22 September 2023

WISDOM ----

 भगवान  विष्णु  के  वैकुण्ठ  धाम  में   भारी  भीड़  लगी  हुई  थी  l  प्रभु  ने  आज  संकल्प  किया  था  कि  वे  अपने  धाम  से  किसी  को  खाली  हाथ  नहीं  जाने  देंगे  l  सभी  प्राणी  उनसे  भांति -भांति  की  संपदा  मांगने  में  लगे  थे  l  वैकुण्ठ  का  कोष  रिक्त  होते  देख   महालक्ष्मी  ने   भगवान  विष्णु  से  पूछा ---" हे  प्रभु  !  यह  सारी  संपदा  आप  मुक्त भाव  से   लुटा  देंगे   तो  वैकुण्ठ  में  क्या  बचेगा  ?  यहाँ  के  निवासी  कहाँ  जाएंगे  , क्या  करेंगे  ? "  लक्ष्मी जी  की  बात  सुनकर  भगवान  विष्णु  मुस्कराते  हुए  बोले  ----" देवी  !  आप  चिंता  न  करें  l  सब  कुछ  लुटाने  पर  भी  एक  निधि  ऐसी  है  , जो  मेरे  पास  सदा  सुरक्षित  रहती  है  l  उसे  यहाँ  उपस्थित  नर , किन्नर , गंधर्व , विद्याधर , देव  और  असुरों  में  से  किसी  ने  नहीं  माँगा  l  यह  निधि  है --- 'मन  की  शांति  ' l  ये  प्राणी  यह  नहीं  जानते  कि  मन  की  शांति   के  बिना   समस्त  धन  संपदा  और  त्रिलोक  का  वैभव -विलास  किसी  मूल्य  का  नहीं  है  l  बिना  शांति  प्राप्त  किए   यह  सारी  संपदा   व्यर्थ  सिद्ध  होती  है  l  "

WISDOM ----

   अध्यात्म  रामायण  में  एक  कथा  है ---- एक  बार  भगवान  राम  और  लक्ष्मण  एक  सरोवर  में  स्नान  के  लिए  उतरे  l   उतरते  समय   उन्होंने  अपने -अपने  धनुष  बाहर  तट  पर  गाड़  दिए  l  जब  वे  स्नान  कर  के  बाहर  निकले   तो  लक्ष्मण  ने  देखा   उनके  धनुष  की  नोक  पर  रक्त  लगा  हुआ  है  l  उन्होंने  भगवान  राम  से  कहा  --- लगता  है  अनजाने  में  कोई  हिंसा  हो  गई  l  दोनों  ने  मिटटी  हटाकर  देखा  तो   वहां  एक  मेढ़क  मरणासन्न  पड़ा  है  l  भगवान  राम  ने   करुणावश     मेढ़क  से  कहा  ---- "  तुमने  आवाज  क्यों  नहीं  दी  ?  हम  लोग  तुम्हे  बचा  लेते  l  जब  सांप  पकड़ता  है  ,  तब  तुम  खूब  आवाज  लगाते  हो  ,  धनुष  लगा  तो  क्यों  नहीं  बोले  ? '  मेढ़क  बोला  ---- " प्रभु  !  जब  सांप  पकड़ता  है   तो  मैं  राम -राम  चिल्लाता  हूँ  ,  पर  आज  देखा  कि   भगवान  राम  स्वयं  धनुष  लगा  रहे  हैं  ,  तो  मैं  किसे  पुकारता  ?  बस ,  इसे  अपना  सौभाग्य  मानकर  चुपचाप  लेता  रहा  l  "  सच्चे  भक्त  जीवन  के  हर  क्षण  को   भगवान  का  आशीर्वाद  मानकर   उसे  स्वीकार  करते  हैं  l   सुख  ईश्वर  की  कृपा  है    तो  दुःख   देकर  ईश्वर  हमें  कुछ  सिखाना  चाहते  हैं  l