26 November 2020

WISDOM -----

   श्रीमद्भगवद्गीता   में  भगवान  कहते  हैं  --- मैं  दमन  करने  की  अमोघ  शक्ति  हूँ  l   मुझसे  कोई  बच  नहीं  सकता  l   भगवान  कहते  हैं  ---दमन  पाशविक  भी  है  और  ईश्वरीय  विभूति  भी  है  l    भगवान  कहते  हैं --- दमन  यदि  विवेकहीन , औचित्यहीन   व  नीतिहीन   हो   तो  यह  आसुरी  एवं   पाशविकता  का  परिचय  प्रदान  करता  है   l   घोर  संकट  का  कारण  बन  जाता  है  तथा  मनुष्य  ,  समाज  एवं   सृष्टि  को   भारी  क्षति  पहुंचाता   है  l    भगवान  आगे  कहते  हैं  ---   यदि अन्याय ,  अनीति , अत्याचार , दुराचार , शोषण , भ्रष्टाचार  का  दमन  किया  जाता  है    तो  दमन  ईश्वरीय  विभूति  के  रूप  में   अलंकृत  होता  है  l   जो  इसे  करने  का  साहस  दिखाता  है  ,  दंड  उसके  हाथों  में   ईश्वरीय  शक्ति  के  रूप  में  शोभित  होता  है  l  भगवान   शिव  का  त्रिशूल , महाकाली  का  खड्ग , भगवान  विष्णु  का  सुदर्शन  चक्र ,  श्रीराम  का  धनुष , इंद्र  का  वज्र , परशुराम  का  परशु ,  यमराज  का  पाश  और  हनुमान जी  की  गदा  ऐसे  ही  ईश्वरत्व  को  प्रकट  करते  है  l     शक्ति  जब  असुरों  के  हाथ  में  आ  जाती  है  तो  वे  उसका  दुरूपयोग  कर  अत्याचार  और  अन्याय  करते  हैं   लेकिन  वही  शक्ति  जब  देवताओं  के  हाथ  में  आ  जाती  है   तो  वे  उसका  सदुपयोग  करते  हैं ,  लोक कल्याण  के  कार्य  करते  हैं  , प्रजा  को  सुख - शांति  मिलती  है  l