14 May 2020

WISDOM ------

  गुरु  अपने  शिष्यों  के  साथ   गुरुकुल  में  बैठे  थे  ,  प्रश्न - उत्तर  का  क्रम  चल  रहा  था  l   एक  शिष्य  ने  गुरु  से  पूछा  ---- " गुरुदेव  ! सम्पति  का  सदुपयोग  न  करने  पर   मनुष्य  का  क्या  होता  है  ? "
  गुरु  ने  उत्तर  दिया  --- " वत्स  !  तुमने  रेशम  का  कीड़ा  देखा  है  ?  एक  रेशम  का  कीड़ा  रेशम  इकट्ठी  कर  के  भारी - भरकम  हो  जाता  है  l  पर  इस  प्रगति  का  क्या  लाभ  ?  वह  बेचारा  अपने  ही  बनाये  जाल  में  जकड़ कर  मर  जाता  है   l   उसके  पास  की  वह  जमा - पूंजी  ,  जिसे  वह   स्वयं  के  किसी  काम  में  नहीं  ला  सकता  ,  वह  दूसरों  का  जी  ललचाती  है   और  वो  लालची  ही   उसके  जीवन  का  नाश  करते  हैं   l   धन  का  सदुपयोग  न  करने  वाले   संपत्तिवान   भी  उस  रेशम  के  कीड़े  की  तरह  हैं  ,  जो  स्वयं  तो  आवश्यकता  से  अधिक   सम्पति  का   उपयोग  नहीं  कर  पाते  ,  परन्तु  इसके  कारण   मात्र  लालचियों   और  दुष्टों  के  भरण - पोषण    का  माध्यम  बनते  हैं   l   आवश्यकता  से  ज्यादा  एकत्रित  संपदा   स्वयं  के  लिए    एवं   परिवार  के  लिए    पतन  का  कारण  बनती  है   l  "   शिष्य  को  उसके  प्रश्न  का  उत्तर  मिल  गया  l