23 February 2021

WISDOM ------

    विश्वकवि  रवीन्द्रनाथ   टैगोर  की   बढ़ती  हुई  प्रतिभा  और  लोकप्रियता   से  लोग  ईर्ष्या  करने  लगे  थे  l   उन्होंने  गुरुदेव  की  छवि  को  धूमिल   करने  के  लिए   विभिन्न  पत्र - पत्रिकाओं  के  माध्यम  से   अपने  कलुषित   प्रयास  प्रारम्भ  कर  दिए  l   परन्तु  गुरुदेव  समभाव   से  सब  सहन  करते  रहे   तथा  तनिक  भी    विचलित  नहीं  हुए   l   श्री  शरतचंद्र  को  जब   ये  आलोचनाएं   सहन  नहीं   हुईं  तो  उन्होंने  गुरुदेव  से  कहा   कि   वे  इन  आलोचकों   को  रोकने  का  कुछ  प्रयास  करें   l  टैगोर  ने  शांत  भाव  से  शरतचंद्र   को  समझाया  कि ,  प्रयास  क्या  करूँ   ?  मैं  उन  जैसा  नहीं  बन  सकता    और  उन्होंने  जो  मार्ग  अपनाया  है  ,  वह  भी  मैं  नहीं  अपना  सकता   l 

WISDOM -----

   पुरानी   आदत  आसानी  से  जाती  नहीं   l    यह आदत   किसी  को  गुलाम  बनाने  की ,  शोषण  करने  की  हो  या    मानसिक  पराधीनता  की  हो  l   व्यक्ति  हो  या  समाज    ,  अपनी  आदत  के  पोषण  के   रास्ते  , विभिन्न  तरीके  ढूँढ़   ही  लेता  है   l   -----  गुरु  और  शिष्य  भ्रमण  को  निकले  l   उन्हें  राह  में  एक  हाथी   मिला  ,  जो  एक  रस्सी  से  खूँटे   से  बँधा   खड़ा  था  l उत्सुकतावश  शिष्य  ने  महावत  से  पूछा ---- " बंधु  ! यह  रस्सी  तो  पतली   सी है   और  ये  विशाल  हाथी  , जब  चाहे  इसे  तोड़कर  मुक्त  हो  सकता  है  ,  फिर  यह  भागता  क्यों  नहीं  ?  महावत  बोला ---- " जब  ये  हाथी  छोटा   था ,  तब  यही  रस्सी  इसे   बाँधने  के  लिए  पर्याप्त  थी   और  अब  इसके  पूर्व  अनुभव   इसे  ये  आभास  ही  नहीं  होने  देते  कि   रस्सी  इतनी  मजबूत  नहीं   कि   इसे  रोक  सके  l  "          मनुष्य अपनी  संकल्प  शक्ति  को  जगाकर   मानसिक  पराधीनता   से  मुक्त  होकर  स्वाभिमान  की  जिंदगी  जी  सकता  है  l