लघु -कथा ----- एक जमींदार का घोड़ा बूढ़ा हो गया l एक दिन वह घास चरता हुआ दूर निकल गया और एक कुएं में जा गिरा l कुआं सूखा था , घोड़ा उसमे से बाहर निकलने का प्रयत्न करने लगा , लेकिन बाहर न निकल सका l जमींदार को पता चला तो वह उसे देखने कुएं पर गया l वहां उसने सोचा कि उस बूढ़े घोड़े को निकालने से क्या फायदा ? उसने उसे कुएं में ही दफ़नाने के लिए मजदूरों को बुलाया और उन्हें कहा कि वे घोड़े के ऊपर मिटटी डालकर उसे वहीँ मरने के लिए छोड़ दें l घोड़ा बहुत चतुर था , वह मालिक की मंशा समझ गया और उसने बचने की तरकीब ढूंढ ली l जब भी उस पर मिटटी पड़ती , वह उछल पड़ता l मिटटी उसके नीचे पहुँच जाती और वह मिटटी के ऊपर l उस पर मिटटी पड़ती रही और वह उछलकर ऊपर आता रहा l अंतत: कुआं मिटटी से भर गया और घोड़ा कुएं से बाहर निकल गया l इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों , हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए , अपना कर्तव्य करते हुए निरंतर उस प्रतिकूलता से बाहर निकलने का सही दिशा में प्रयास करते रहना चाहिए l सफलता अवश्य मिलेगी , हर समस्या का समाधान होता है l
22 May 2022
WISDOM-------
लघु -कथा -----सज्जन होना ठीक है पर ऐसे लोगों की पहचान रखना भी उतनी ही बड़ी आवश्यकता है जो बेवजह दूसरों को कष्ट देते हैं l उनसे सतर्कता जरुरी है ------- एक हंस उड़ता हुआ अपने निवास स्थान की ओर जा रहा था l संध्या का समय था l उसने देखा एक चूहा ठंड से ठिठुरकर अर्द्धचेतन हो गया है l उसे देखकर हंस को दया आ गई l वह नीचे उतरा और अपने पंख फैलाकर चूहे को ढक लिया इससे उसकी सर्दी रुक गई और धीरे -धीरे चूहे के बदन में गर्मी आ गई l वह अपने आप को ठीक महसूस करने लगा l अब क्या था , वह अपने काम में लग गया और हंस के मुलायम परों को कुतर दिया l सबेरा हुआ , , हंस ने उड़ने की तैयारी की , किन्तु वह उड़ न सका , उसे बहुत दुःख हुआ लेकिन उसे यह समझ भी आया कि हमें हमेशा सतर्क और जागरूक रहना चाहिए l जब तक दूसरे पंख न उगे , उसे वहीँ घूम -फिर कर अपने दिन काटने पड़े l
दिशाओं में फैलने लगीं