22 September 2022

WISDOM ----

   कलियुग  का  सबसे  बड़ा  लक्षण  है ---दुर्बुद्धि  l  ईर्ष्या  द्वेष  इतना  है  कि  मनुष्य  अपनी  सारी  ऊर्जा   दूसरों  का  सुख  छीनने  में  लगा  देता  है  l  व्यक्ति  को  जो  ईश्वर  ने  दिया  है  वह  उसमें  खुश  नहीं  होता  ,  उसकी  नजर  हमेशा  उन  पर  होती  है  जिनसे  वह  ईर्ष्या  करता  है  l  अपने  प्रतिद्वंदी  को  सुख  का , सम्मान  का  एक  कतरा  भी  मिल  जाये  यह  उसे  मंजूर  नहीं  होता  l  वह  अपनी  पूरी  शक्ति , पूरे  साधन  लगाकर  उसके  सुखों  के  मध्य  दीवार  खड़ी  कर  देता  है  l  यह  एक  तरह  की  मानसिक  बीमारी  है , पागलपन  है  l  सत्साहित्य  का  अध्ययन  न  करने  के  कारण  वह  अपना  अनमोल  जीवन  ऐसे  ही  गँवा  देता  है  l  कंस  ने  देवकी  के  सात  नवजात  पुत्रों  का  वध  किया  , उन्हें  जेल  में  बहुत  कष्ट  दिया   l  गोलोक  में  राधा जी  कृष्ण  से  पूछती  हैं  कि  कंस  इतना  निर्दयी  और  अत्याचारी  है  , कहीं  वो  देवकी  और वसुदेव  की  हत्या  न  कर  दे  l  तब  भगवान  कहते  हैं  --- नहीं , कर्मों  के  अनुसार  जो  विधान  बनता  है , उससे  ज्यादा  कोई  कुछ  नहीं  कर  सकता  l  कहने  का  तात्पर्य  है  कोई  किसी  के  भाग्य  को  नहीं  बदल  सकता  ,  जो  ऐसा  दुस्साहस  करता  है  तो  कंस  और  रावण  की  तरह  स्वयं  भगवान  उसका  अंत  कर  देते  है  l  आज  संसार  में  मनुष्य  का  सामना  ऐसे  ही  रावण , कंस , दुर्योधन , मंथरा , सूर्पनखा  जैसे  लोगों  से  होता  है  , ऐसे  लोगों  के  मध्य  जीवन  जीने  के  लिए  जीवन  जीने  की  कला  के  ज्ञान  की  जरुरत  होती  है  l  ऐसे  हठी  लोग  मर  जाते  हैं  पर  सुधरते  नहीं  हैं   इसलिए  हमें  ही  स्वयं  को  समझाना  है  कि   वे  अपने  संस्कार  के  अनरूप  अपना  कार्य  करते  रहें  और  हम  उनकी  ओर  से  अपना  ध्यान  हटाकर  ,   ईश्वर  विश्वास  का  सहारा  लेकर  जीवन -पथ  पर  आगे  बढ़ते  रहें  l