5 August 2022

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- ' कीचड़  मत  उछालो  l  हो  सकता  है  कि  वह  निशाने  तक  न  पहुंचे   और  उलट  कर   तुम्हे  ही  गंदगी  से  सान  दे   l  '    कलियुग  में  मनुष्य  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है  ,  वह  वे  सब  कार्य  करता  है  जो  उसे  नहीं  करने  चाहिए   l  इस  युग  में  ईर्ष्या , द्वेष , लोभ , लालच , कामना------- आदि  बुराइयाँ  अपने  चरम  पर  होती  है   l  समय  का  प्रभाव  कुछ  ऐसा  होता  है  कि  अच्छे  और  बुरे ,  देवता  और  असुर  में  भेद  करना  कठिन  होता  है   l  परनिंदा  , प्रपंच , षड्यंत्र    में  उलझा   व्यक्ति  ईर्ष्या वश  किसी  की  अच्छाई  को   सहन  नहीं    करता   l   असुरता  को  सबसे  ज्यादा  खतरा  देवत्व  से  है   l   यदि  कोई  सन्मार्ग  पर  है   तो  उसकी  इतनी  निंदा  की  जाएगी  ,   उसकी  इतनी  बुराइयाँ  की  जाएगी    कि  सामान्य  व्यक्ति  उसकी  अच्छाई  को  समझ  ही  न  पाए   l   समाज  में  सुधार  इसलिए  नहीं  हो  पाता  क्योंकि  समाज  का  एक  बहुत  बड़ा  तबका  अच्छे  लोगों  की  छवि  ख़राब  करने  में  लगा  रहता  है  ,  समाज  उनके  गुणों  से  लाभान्वित  होने  से  वंचित  रह  जाता  है   l  लोग  अपने  गुणों  में  वृद्धि  करने  के   बजाय    दूसरे  को  नीचे  गिराने   में  प्रयत्नशील  रहते  हैं   l  यह  बुद्धि  का  सबसे  बड़ा  दुरूपयोग  है   l