एक व्यक्ति एक संत के पास अपनी जिज्ञासा लेकर पहुंचा और बोला ---- " महाराज ! मैं विवाह करना चाहता हूँ l मैंने अनेक युवतियों को देख भी लिया है , परन्तु अभी तक मुझे कोई सबसे योग्य युवती नहीं मिली l " संत बोले ---- " बेटा ! तुम पहले फूलों के बगीचे में सबसे सुन्दर गुलाब का फूल तोड़कर लाओ , लेकिन शर्त यह है कि एक बार आगे बढ़ने के बाद पीछे नहीं मुड़ना l " थोड़ी देर बाद व्यक्ति खाली हाथ लौटा l संत ने पूछा --- " बेटा ! तुम्हे कोई सुन्दर फूल नहीं मिला ? " वह व्यक्ति बोला --- " महाराज ! मैं अच्छे -से -अच्छे फूल की चाहत में आगे बढ़ता गया l मार्ग में अनेक सुन्दर फूल दिखे , परन्तु मैं इस चाहत में आगे बढ़ता गया कि आगे और भी सुन्दर फूल होंगे l दुर्भाग्यवश अंत में फिर मुरझाये फूल मिले l " संत बोले ---- " बेटा ! जीवन भी इसी प्रकार है l सबसे योग्य की तलाश में भटकते रहोगे तो जो संभव है , उससे भी हाथ धो बैठोगे l इसलिए जो प्राप्त हो सकता है , उसी में संतोष करने की वृत्ति पैदा करो --- यही संभव समाधान है l "