22 July 2020

WISDOM ----- जिसके भीतर जो भाव है , वही उसकी क्रिया में प्रकट होता है l

  आज  के  समय  में  जब   मनुष्य  का  दोहरा  व्यक्तित्व  है  ,  सामने  कुछ  और  दिखाई  देता  है  लेकिन  उसकी  वास्तविकता  कुछ  और  है  l   ऐसे  में   उसके  द्वारा ,  या  उसके  संरक्षण  या   आदेश  द्वारा     किए   जाने  वाले  कार्यों   और  उनके  परिणामों  का  गहराई  से   अवलोकन   करें    तो  हम   उस  व्यक्ति  की  वास्तविकता  को  समझ  सकते  हैं  l
यह  संसार  ईश्वर  का  बगीचा  है   इसमें  गंदगी  से  लेकर  मनोहर  पुष्प  तक  सभी  पदार्थ  होते  हैं  l   कोयल  इस  बाग़  में  पहुंचकर   उस  पर  मुग्ध  हो  जाती  है  ,  अपनी  सुरीली  आवाज  में  कूकती  है  ,  उस  बाग   की  मनोहरता  को  और  बढ़ा  देती  है    l   लेकिन  दूसरी  ओर   चमगादड़   उस  बाग   में  घुसता  है   तो  उसके  उत्तम  फल - फूलों  को  कुतर - कुतर  कर   जमीन   पर  ढेर  लगाता   है    और  उस  बगीचे  को  कुरूप  बनाता   है  l   हम  बगीचे  में  ऐसी  कुरूपता  देखते  ही  समझ  जायेंगें   कि   यह  चमगादड़  का  काम  है  l
 कोयल  और  चमगादड़   अपने - अपने  भाव  के  अनुसार  क्रिया  प्रकट  करते  हैं  l   जिनके  भीतर  जो  है  ,  वही   उसकी  क्रिया  में  प्रकट  होता  है  l
पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  विचार  क्रांति   की  बात  कही  है  ,  जब  हमारा  चिंतन ,  हमारे  विचार  श्रेष्ठ  होंगे  ,  परिष्कृत  होंगे  ,    तभी  हमारे  द्वारा  किए   जाने  वाले  कार्य  श्रेष्ठ  होंगे  और  श्रेष्ठ  परिणाम  देंगे   l