जो संस्कार जीवन भर हावी रहते हैं , वे अंत तक पीछा नहीं छोड़ते हैं l एक बूढ़ा बीमार पड़ा l जीवन लोभ में बीता था l अपनी दवा पर भी ठीक से खर्च नहीं करते थे l कमजोरी बढ़ती गई l उसी स्थिति में उसने देखा आंगन में बछड़ा झाड़ू चबा रहा है l उनका मन बड़ा दुखी हुआ , मेरी कमाई इस तरह बरबाद जा रही है l बोलने का प्रयास किया पर कमजोरी में स्पष्ट शब्द नहीं निकल सके l लड़कों ने समझा शायद भगवान का नाम ले रहे हैं l दूसरे ने सोचा कि शायद अपनी गुप्त सम्पति के बारे में अंत समय में बतलाना चाहते हैं , उसने चिकित्सक को बुलाकर कहा --- " कुछ भी खर्च हो , ऐसा प्रयास करें कि इनके कुछ शब्द सुनाई दे जाएँ l कीमती दवाओं का प्रयोग किया गया , बहुत खर्चा हुआ , पर उन्हें कुछ शक्ति आई , थोड़ा दम लगाकर बोले तो सुनाई दिया --- बछड़ा , झाड़ू , बछड़ा - झाड़ू , यही मन्त्र दोहराते हुए प्राण छूट गए l
24 September 2021
WISDOM----- तंत्र बड़ा या भक्ति
ऋषियों का वचन है ---- " तंत्र चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो , वह भक्ति और भक्त से सदैव ही कमजोर होता है l भक्त की रक्षा स्वयं भगवान करते हैं और तंत्र भगवान से श्रेष्ठ कदापि नहीं हो सकता l " भक्ति सर्वोपरि है l भक्ति किसी बड़े एवं श्रेष्ठ तांत्रिक अनुष्ठान से भी बढ़कर होती है l यदि तंत्र प्रयोग भक्त पर लगता भी है तो वैसा विधान होगा l इस संदर्भ में एक प्रसंग है ---- जगद्गुरु शंकराचार्य के शरीर त्यागने का समय निकट था l इस दौरान एक कापालिक क्रकच ने उन पर भीषण तंत्र का प्रयोग कर दिया l इसके प्रभाव से उन्हें भगंदर हो गया और अंत में उन्होंने अपनी देह को त्याग दिया l इस संबंध में तंत्र के महान आचार्य कहते हैं कि उनकी देह को तंत्र लगा तो यह विधान के अनुरूप ही था l लेकिन भगवान अपने भक्त को कष्ट देने वाले को कभी क्षमा नहीं करते , व्यक्ति को अपने दुष्कृत्य का परिणाम भोगना ही पड़ता है l कापालिक की आराध्या एवं इष्ट भगवती उससे अति क्रुद्ध हुईं , उन्होंने कहा ---- ' तूने शिव के अंशावतार मेरे ही पुत्र पर अत्याचार किया है l इसके प्रायश्चित के लिए तुझे अपनी भैरवी की बलि देनी पड़ेगी l ' कापालिक भैरवी से अति प्रेम करता था , परन्तु उसे उसको मारना पड़ा l उसको मरने के बाद वह विक्षिप्त हो गया और अपना ही गला काट दिया l इस प्रकार उस तांत्रिक का अंत बड़ा भयानक हुआ l कर्मफल से कोई नहीं बचा है l यही संसार है , यहाँ अँधेरा - उजाला , दिन - रात , तंत्र -मन्त्र सब कुछ है l पर अध्यात्म की शक्ति सर्वोपरि है