16 January 2020

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है --- ' ख़ुशी  दृष्टिकोण  है ,  विचारणा  की  शक्ति  है   जो  हमें  प्रसन्नता  देती  है  l   हमारी  नाभि  में  खुशी   रूपी  कस्तूरी  छिपी  पड़ी  है  l   ढूंढते  हम  चारों  ओर   हैं   l   हर  दिशा  से  वह  आती  लगती  है   पर  होती  अंदर  है  l '
  आचार्य श्री  लिखते  हैं  ---- ' आज  आदमी  खुशी   के  लिए  तरस  रहा  है  ,  वह  ख़ुशी  ढूंढने  के  लिए  सिनेमा , क्लब , रेस्टॉरेन्ट ,  कैबरे  डांस  सब  जगह  जाता  है   पर  ख़ुशी  उसे  कहीं  नहीं  मिलती  l  वही  व्यक्ति  ज्ञानवान  होता  है  जिसे  ख़ुशी  तलाशना   और  बांटना  आता  है  l   जीवन  का  आनंद  सदैव  भीतर  से  आता  है  l   यदि  हमारे  सोचने  का  तरीका  सही  हो   तो  बाहर  जो  भी  क्रियाकलाप  चल  रहे  हों  ,  उन  सभी  में  हमको  ख़ुशी  ही  खुशी   बिखरी  हुई  दिखाई  पड़ेगी  l '
   दृष्टिकोण   विकसित  होते  ही   ऐसा  आनंद  आता  है  कि  जिसको  शब्दों  में  व्यक्त  नहीं   किया जा  सकता  l    --- दाराशिकोह  मस्ती  में  डूबते   जा  रहे  थे  l   जेबुन्निसा  ने  पूछा --- ' अब्बाजान  !  आपको  क्या  हुआ  है  आज  ?  आप  तो  पहले  कभी  शराब  नहीं  पीते  थे  l   फिर  यह  मस्ती  कैसी   ?  '
  दाराशिकोह  बोले ---- " बेटी  !  आज    मैं   हिन्दुओं  के  उपनिषद  पढ़  कर  आया  हूँ   l  जमीन  पर   पैर  नहीं  पड़   रहे  हैं  l   जीवन  का  असली  आनंद  उनमे   भरा  पड़ा  है  l   बस ,  यह  मस्ती  उसी  की  है  l  "