विचार मनुष्य के व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब है | जीवन की धारा उसी दिशा में मुड़ती है, जिस दिशा में मनुष्य के विचार उसे खींच ले जाते हैं | यदि विचार क्रमबद्ध, सुगठित एवं सुव्यवस्थित हों तो उनके सुनियोजन से ' संकल्प ' का जन्म होता है, जिसके सहारे रेगिस्तान में हिमालय खड़े करने जैसे असंभव कार्य भी संभव किये जा सकते हैं | भगवान राम के संकल्प बल ने समुद्र को राह देने पर मजबूर कर दिया तो दुबले-पतले से गांधी जी की संकल्पशक्ति ने अंगरेजों की विशाल हुकूमत को नाकों चने चबवा दिये |
संकल्प शक्ति के अभाव में लोग असफलता का दोष भाग्य पर मढ़ते हैं और अकर्मण्यता की चादर ओढ़ जीवन भर को सो जाते हैं | मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन की प्राथमिकताएँ तय करे, ताकि दिशाहीन विचारों को संगठित कर संकल्प का रूप दिया जा सके एवं उच्च उद्देश्यों को पूरा किया जा सके |
संकल्प शक्ति के अभाव में लोग असफलता का दोष भाग्य पर मढ़ते हैं और अकर्मण्यता की चादर ओढ़ जीवन भर को सो जाते हैं | मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन की प्राथमिकताएँ तय करे, ताकि दिशाहीन विचारों को संगठित कर संकल्प का रूप दिया जा सके एवं उच्च उद्देश्यों को पूरा किया जा सके |