14 November 2018

WISDOM ------ सच्चा अध्यात्म

  पं.  श्रीराम  शर्मा   आचार्य जी  ने  अपने  प्रवचनों  में  यह  स्पष्ट  रूप  से  कहा  कि --"  अध्यात्म  किसी  जादूगरी  का  नाम  नहीं  ,  बल्कि  श्रेष्ठ  विचारों ,  ऊँचे  विचारों ,  आदर्श  विचारों  और  सही  विचारों  को  जीवन  में  उतारने  का  नाम  है  l  "  उनका  कहना  है  कि   मनुष्य  सारी  संपदाओं  का  स्वामी  होते  हुए  भी  विपन्नताओं  से  इसलिए  घिरता  है  ,  क्योंकि  उसने  अपने  जीवन  में  असंयम  को  स्थान  दे  दिया  l  वे  जीवन  में  संयम  और  अनुशासन  लाने  को  अध्यात्म  घोषित  करते  हैं  और  कहते  हैं  कि   सच्चा  अध्यात्म  आने  पर  मनुष्य  का  आहार  और  विहार  दोनों  परिष्कृत  होते  हैं  और  उसके  व्यक्तित्व  के   प्रत्येक  आयाम  में  उत्कृष्टता  की  छाप  दिखाई  पड़ती  है  l 
    जब  अध्यात्म  का  जीवन  में  प्रवेश  होता  है   तो  जीवन  कैसे  रूपांतरित  हो  जाता  है  ,  एक   उदाहरण  है --------    कर्नाटक  के  एक  छोटे  से  गाँव  में   एक  साधारण  गृहस्थ  के  घर  एक  कन्या  जन्म  लिया , जो  बड़ी  सुंदर  युवती  बनी ,  नाम  था ---- अक्का  महादेवी  l  इस  साधारण  ग्राम बाला  ने  प्रतिज्ञा   की   कि  वह  आजीवन  ब्रह्म्चारिणी  रहकर   ईश्वर - उपासना   और  राष्ट्र सेवा  करेगी ,  कभी  भी  विधर्मियों  को  अपने  देश  में  घुसने  नहीं  देगी  l  संयम   की   तेजस्विता  ने   उसकी  कांति  में  और  वृद्धि  कर  दी  l  तत्कालीन  मैसूर  के  राजा  कौशिक  ने   अद्वितीय  सौन्दर्य  की  धनी   अक्का महादेवी  से  विवाह  का  प्रस्ताव  रखा  l  वे  अपनी  अति  कामुकता  और  ढेरों  उप पत्नियों  के  लिए  प्रसिद्ध  थे  l अक्का महादेवी  ने  मना  कर  दिया  l  कौशिक  ने  उसे  अपमान  मानकर  अक्का  के  माता - पिता  को  बंदी  बनाकर  पुन:  प्रस्ताव  भेजा  l  अक्का   ने  माता - पिता  की  खातिर   प्रस्ताव  मान लिया  , लेकिन  एक  शर्त  पर  कि  वे  समाज  सेवा , संयम - साधना  का  परित्याग  नहीं  करेंगी  l   राजा  कौशिक  ने  यह  बात  मान  ली  l
      विवाह  के  बाद   अपनी   निष्ठा  से   उन्होंने  कामुक  पति  को  संत  बनाकर  सहचर  बना  लिया   l  अक्का  और  कौशिक  दोनों  ने   कन्नड़  संस्कृति  की  रक्षा  के  ढेरों  प्रयास  किए  ,  जिनकी  विरुदावली  आज  भी   गाई  जाती  है   l