22 February 2024

WISDOM ------

  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " वासना  और  तृष्णा  की  खाई  इतनी  चौड़ी  और  गहरी  है  कि   उसे  पाटने  में  कुबेर  की  संपदा  और   इंद्र  की  समर्थता  भी  कम  पड़ती  है   l "                                                        घटना   रूस  के  साइबेरिया  क्षेत्र  के  एक  गाँव  की  है  l  उस  गाँव  के  लिए  यह  विख्यात  था  कि   गाँव  वाले  अपनी  जमीन   बिना  किसी  मूल्य  के   किसी  भी  आगंतुक  को  दे  दिया  करते  थे  ,  यदि  वह  उनके  द्वारा  रखी  गई  शर्त  को  पूर्ण  कर  दे  l  शर्त  भी  बहुत  सरल  थी  ,  केवल  दौड़ना  भर  था  l   यह  सुनकर  एक  व्यक्ति  उस  गाँव  के  प्रधान  से  मिला  l  गाँव  का  प्रधान  उस  व्यक्ति  को  देखकर  जोर  से  हँसा  और  बोला  --- " लो  एक  और  आ  गया  l "  वह  व्यक्ति  आश्चर्य चकित  हुआ  और  बोला  --- " आप  हँसे  क्यों  ?  "  गाँव  का  प्रधान  बोला  ---- " हँसने  की  बात  यह  है  कि  यहाँ  तो  लगभग  हर  दिन  कोई  न  कोई   शर्त  सुनकर  आता  है  ,  पर  आज  तक  उसको  जीतकर  कोई  वापस  नहीं  लौटा   l   किसान  ने  पूछा  --- " शर्त  क्या  है  ? " ग्राम  प्रधान  बोला  --- " सारी  जमीन  तुम्हे  नि:शुल्क  उपलब्ध  है  l   इसके  लिए  मात्र  एक  शर्त  है   कि  तुम  यहाँ  खींची  रेखा  से  सूर्योदय  से  दौड़ना  शुरू  करोगे   और  सूर्यास्त  होने  तक   जितनी  जमीन  नापकर  तुम  इसी  रेखा  तक  आ  जाओगे  ,  उतनी  जमीन  तुम्हारी  हो  जाएगी  ,  पर  यदि  नहीं  आ  पाए  तो  तुम्हे  आजन्म  गुलाम  बनकर  यहीं  रहना  पड़ेगा  l "  उस  व्यक्ति  को  लगा  कि  यह  तो  बड़ी  आसान  शर्त  है   और  उसने  तुरंत  हाँ  भर  दी  l   सूर्योदय  पर  उसने  भागना  शुरू  किया  और  दोपहर  तक  सात -आठ  मील  जमीन  नाप  ली   तो  उसका  लालच  बढ़ने  लगा  l  उसने  साथ  लाया  भोजन  और  पानी  वहीँ  छोड़ा   और  सोचा  कि  एक  दिन  नहीं  भी  खाया   तो  क्या  ,  आज  ज्यादा  से  ज्यादा  जमीन  नाप  लेते  हैं  l  भागते -भागते  दोपहर  के  तीन  बज  गए  l  ज्यादा  जमीन  का  लालच  तो  उसे  दूसरी  ओर  खींच  रहा  था  ,  पर  मन  मार  कर  वह  वापस  लौटा   तो  खींची  रेखा  से  आधा  मील  दूर  जमीन  पर  गिर  पड़ा  l   ग्राम  प्रधान  वहीँ  पास  खड़ा  था   और  उससे  बोला  ---- "  शर्त  आसान  है  , परन्तु  मनुष्य  के  लालच  का  अंत  नहीं  है  l  इसीलिए  आज  तक  इस  शर्त  को  पूरा  करने  वाला  कोई  मिला  नहीं   और  जितने  गाँव  वाले  दिखाई  पड़ते  हैं  ,  ये  सब  शर्त  हारे  हुए  गुलाम  ही  हैं  l "