आज युद्ध के लिए वैज्ञानिक अस्त्रों की विशिष्टता और अभिवृद्धि को बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि गिना जाता है l ऐसे किसी अस्त्र के प्रयोग से कितने निर्दोष लोगों को मारा जा सकता है --- अब यह गर्व का विषय हो गया है l
प्रत्येक देश युद्ध के लिए कितनी भयंकर तैयारी करता है कि उससे प्रकृति में भी यही सन्देश जाता है कि मनुष्य को मरना - मारना बहुत पसंद है , प्राकृतिक विपदाएं आने लगती हैं l दुष्ट शक्तियां गतिशील हो कर मनुष्य पर इस तरह हावी हो जाती हैं कि मनुष्य स्वयं ही छोटी - छोटी बातों पर बहस करते - करते उन्हें एक बड़े दंगे में परिवर्तित कर देता है l लड़ाई - झगड़े करना , कराना , मरना , मारना भी रोजगार हो गया है व्यक्ति इतना दोषी नहीं है जितना कि वातावरण l भयभीत होकर हथियारों का संग्रह करना , उनकी संगत में रहना l यह सब व्यक्ति को संवेदनहीन बना देता है l
आज जरुरत सामान्य व्यक्ति को जागने की है , उसे जागरूक होना है , प्राथमिकता तय करनी है कि स्वाभिमान से मेहनत - मजदूरी करके अपने परिवार को , बच्चों को सुरक्षित रखना है या किसी की कठपुतली बनकर हमेशा असुरक्षित और भय का जीवन जीना है l
प्रत्येक देश युद्ध के लिए कितनी भयंकर तैयारी करता है कि उससे प्रकृति में भी यही सन्देश जाता है कि मनुष्य को मरना - मारना बहुत पसंद है , प्राकृतिक विपदाएं आने लगती हैं l दुष्ट शक्तियां गतिशील हो कर मनुष्य पर इस तरह हावी हो जाती हैं कि मनुष्य स्वयं ही छोटी - छोटी बातों पर बहस करते - करते उन्हें एक बड़े दंगे में परिवर्तित कर देता है l लड़ाई - झगड़े करना , कराना , मरना , मारना भी रोजगार हो गया है व्यक्ति इतना दोषी नहीं है जितना कि वातावरण l भयभीत होकर हथियारों का संग्रह करना , उनकी संगत में रहना l यह सब व्यक्ति को संवेदनहीन बना देता है l
आज जरुरत सामान्य व्यक्ति को जागने की है , उसे जागरूक होना है , प्राथमिकता तय करनी है कि स्वाभिमान से मेहनत - मजदूरी करके अपने परिवार को , बच्चों को सुरक्षित रखना है या किसी की कठपुतली बनकर हमेशा असुरक्षित और भय का जीवन जीना है l