5 March 2020

WISDOM ------ ईश्वर हमारे सबसे बड़े शुभ चिंतक हैं ---- श्रीमद्भगवद्गीता

    गीता   में  भगवान   कहते  हैं  --- मैं  तुम्हारे  लिए  सारी   व्यवस्था  कर  दूंगा  ,  तुम  मुझसे   अनन्य  भाव  से  जुड़ो   तो  सही  l  अनन्य  भाव   का  अर्थ  है  -- पूरी  तरह  परमात्मा   में    घुल  जाना   l   कोई  भौतिकवादी  लालसा  नहीं  l   हर  कर्म  में   ईश्वर  को  ही  सोचना ,   समर्पण  भाव  से  ईश्वर  के  निमित्त  कर्म  करना  l 
  एक  उदाहरण  रामचरितमानस  में  है  कि   भगवान   अपने  अनन्य  भक्त  का  किस  प्रकार  ध्यान  रखते  हैं -------   अरण्यकाण्ड  में  अंतिम  दोहों  में  वर्णन  आता  है  कि   नारद जी   भगवान  श्रीराम  एवं   लक्ष्मण जी  को  वन  में  सीता  को  ढूंढते  हुए  विरह  की  स्थिति  में  देखते  हैं  l   वे  भगवान   के  पास  जाकर   प्रणाम  कर  उनसे  कहते  हैं  ---- "  आपने  अपनी  माया  से  मोहित  कर  ,  एक  बार  मुझे  विवाह  करने  से  रोका  था  l   तब  मैं  विवाह  करने  को  आतुर  था  l   आपने  मुझे  किस  कारण  रोका  ? "
  तब  भगवान   श्रीराम   कहते  हैं --- जो  समस्त  आशा - भरोसा  छोड़कर   केवल  मुझको  ही  भजते  हैं  ( नारद जी  भगवान   के  बहुत  बड़े  भक्त  हैं ),  मैं  सदा  उनकी  वैसे  ही  रखवाली  करता  हूँ ,  जैसे  माता  बालक  की  रक्षा  करती  है ---- करउँ   सदा  तिन्ह  कै   रखवारी  l जिमि   बालक  राखइ   महतारी  l
  लेकिन  जब  पुत्र  सयाना   हो  जाता  है  तो  उस  पर  माता  प्रेम  तो  करती  है  ,  परन्तु  पिछली  बात  नहीं  रहती   l  
आगे  श्रीराम  कहते  हैं  --- "मेरे  सेवक  को ,  मेरे  भक्त  को  केवल   मेरा  ही  बल  रहता  है   लेकिन  ज्ञानी  को  अपना  बल  होता  है   l   भक्त  के  शत्रुओं  को  मारने  की  जिम्मेदारी  तो   मेरी  है  ,   पर  अपने  बल  का  मान  मानने   वाले    ज्ञानी  के  शत्रु  का  नाश  करने  की  जिम्मेदारी  मेरी  नहीं  है   l   ऐसा  विचार  कर  बुद्धिमान  लोग   मुझको  ही  अनन्य  भाव  से  भजते  हैं   l   वे  ज्ञान  प्राप्त  होने  पर  भी  भक्ति  को   नहीं  छोड़ते  l  "    भगवान   अपने  भक्तों  का   योगक्षेम  वहां  करते  हैं   l 
 पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  कहा  है  --- ' तुम  मेरा  काम  करो  ,  मेरे  विचारों  को  जन  - जन  तक  
पहुंचाओ ,   बुरी  आदतें  सुधार  लो ,  सन्मार्ग  पर  चलो ,---- मैं  तुम्हारा  ध्यान  रखूँगा  l  '