12 May 2020

WISDOM ------ श्रद्धा और विश्वास से रोगों का नाश

 बाबा  नीम  करौली   हनुमानजी  की  भक्ति  कर  के    हनुमान मय   हो  गए  थे  l   उन्होंने  देश  में  अनेक  स्थानों   पर    हनुमान  मंदिर  बनाए   हैं  l   वे  कहते  थे  हनुमान जी   इस  युग  के  जीवंत   देव  हैं   l   उन्हें  भाव  भरे  हृदय  से  पुकारें  ,  तो  प्रत्यक्ष  खड़े  हो  जाते  हैं   l   इनसान   हृदय  से  पुकारे   तो  कुछ  भी  असंभव  नहीं  रह  जाता   है  ,  परन्तु  पुकार  ही  तो  नहीं  पाता   है  l   व्यर्थ  की  उलझनों  में   उलझ  कर    अपना  जीवन  नष्ट  करता   रहता  है   l 
  कहते  हैं  बाबा  नीम  करौली  की  कृपा  से  सारे  रोग  मिट  जाते   हैं   l   एक  प्रसंग  है  -----  डॉक्टर  ब्रह्मस्वरूप  सक्सेना  इलाहबाद  में    होमियोपैथिक  डॉक्टर  थे   l   मकान  के  एक  हिस्से  में  ही  उन्होंने  क्लीनिक  बना  दिया  था  ,  जहाँ  वे  रोगियों  का   निरीक्षण - परीक्षण   करते  थे   l   सामान्य  जीवन  का  गुजारा   हो  जाता  था   l   एक  दिन  उनके  पास  एक  ऐसा  रोगी  आया  जिसकी  दोनों  आँखें  चेहरे  से  बाहर  निकल  आई  थीं  l   डॉक्टर  सक्सेना  ने  उससे  कहा  --- ' आप  किसी  सर्जन  के  पास  चलें  जाएँ   l   मेरे  पास  इसका  कोई  समाधान  नहीं  है  l  '  तब  रोगी  ने  कहा  --- मैं  आपसे  ही  दवा  लूंगा   और  मुझे  पूर्ण  विश्वास  है  कि   दवा  खाने  के  बाद  पूर्ण  स्वस्थ  हो  जाऊँगा  l  क्योंकि  हमारे  इष्ट  एवं   आराध्य  बाबा  नीम  करौली  ने  कहा  है   कि   आपकी  दवा  से  हम  स्वस्थ  एवं   प्रसन्न  हो  जायेंगे  l  "
 सक्सेना जी  बड़े  असमंजस  में  थे  ,  उन्होंने  उसे  दर्द निवारक  अर्निका  की  गोलियां  दीं  l   रोगी  ने  जैसे  ही  उसे   खाया  ,  उसकी  आँखें  सही  स्थित  हो  गईं  और  उसका  भयानक  चेहरा  शांत  व  सौम्य  हो  गया  l   इस  घटना  के  बाद  तो  अनेक  असाध्य  रोगी  आने  लगे  l   वे  सभी  कहते  कि   बाबा  नीम  करौली  ने  उन्हें  भेजा  है   l   सक्सेना जी  ने  बाबा  को  देखा  नहीं  था  ,  लेकिन  उनके  हृदय  में  उनके  लिए  श्रद्धा  - विश्वास  उत्पन्न  हो  गया  l
एक  दिन  बाबा  स्वयं  उनकी  क्लीनिक   आये   और  कहने  लगे----'  हाथों  में   कुछ  गर्मी  महसूस  कर  रहा  हूँ , जल्दी  से  कुछ  दवा  दे  दो  l   कुछ  अधिक  मात्रा  में  देना ,  फिर  हम  दोबारा  नहीं  आएंगे  l  '
जब  वे  बाहर  निकले  तो  मरीजों  ने  उनके  चरण स्पर्श  किए l   सक्सेना  जी  हैरान  थे  कि  इतना  धवल  व्यक्तित्व  ये  कौन  है  ?   तब  एक  मरीज  ने  कहा  --- आप  पहचानते  नहीं  ,  ये  ही  बाबा  नीम  करौली  हैं  ,  जिनकी  अलौकिक  शक्तियां   भारत  ही  नहीं  विश्व  में  प्रकाशित  हैं  l   सक्सेना  जी  को   बहुत  पश्चाताप  हुआ  कि   वे  जिसे  खोजते  रहे  ,  वे  जब  सामने  आये  तो  पहचान  न  सके  l   उन्हें  इस  बात  का  भी  दुःख  हुआ  कि   बाबा  अपनी  बारी  की  प्रतीक्षा  में  बाहर  दो  घंटे  तक  बैठे  रहे  और   बाहर  बैठे  लोगों  के  साथ  सत्संग  करते  रहे  l  इसके  बाद  सक्सेना  जी  का  जीवन  बदल  गया  , वे  सेवाभावी  हो  गए   l 

WISDOM ----- जो ईश्वर पर विश्वास रखता है उसे मृत्यु का भय नहीं होता

  ईश्वर  सत्य  है '   जिसने  भी  इस  धरती  पर  जन्म  लिया  उसकी  मृत्यु  निश्चित  है   l   लेकिन  मृत्यु  का  भय   व्यक्ति   को  जीवित  रहते  हुए  भी  मृत्यु तुल्य  बना  देता  है  l   वह  मृत्यु  के  भय  से  इधर - उधर  भागता  है  या  छिपता  फिरता  है  ,  जीवन  का  आनंद  नहीं  ले  पाता  l   निडर  होकर  जीवन  जीने  में  ही  जीवन  जीने  का  आनंद  है   l  जो  ईश्वर  विश्वासी  हैं   वे  जानते  हैं  कि   ईश्वर  ने  उन्हें  धरती  पर  रहने  का  जितना  वक्त  दिया  है ,  उसमें   एक  पल  का  भी  हेरफेर  संभव  नहीं  है  ,  इसलिए  वे  निडर  होकर  जीवन  जीते  हैं   l 
 महाभारत  का  प्रसंग  है ---- दुर्योधन  ने  भीष्म पितामह  पर  आक्षेप  किया  कि     वे  अर्जुन  के  प्रति  मोह  रखते  हैं  ,  इसलिए  पूरा  शौर्य  प्रकट  नहीं  करते  हैं   l   इस  पर  भीष्म  ने  प्रतिज्ञा  की  ---- कल  के  युद्ध  में   मैं  या  अर्जुन  - में  से  एक  की  मृत्यु  होगी   l   भीष्म  की  प्रतिज्ञा  से  पांडवों  में  खलबली  मच  गई  l   स्वयं  कृष्ण  चिंतित  हो  उठे  l   नींद  नहीं  आई  l  अर्जुन  की  क्या  स्थिति  है  यह  देखने   उनके  डेरे  में   जा  पहुंचे  l   वहां  जाने  पर  देखा  कि   अर्जुन  निश्चिन्त  होकर  स्वाभाविक  स्थिति  में  सो  रहे  हैं   l 
  कृष्ण  ने  उन्हें  जगाया   और  पूछा  --- " पार्थ  !  तुमने  भीष्म  की  प्रतिज्ञा  सुनी  ?  "
  उत्तर  मिला  --- " हाँ ,  सुनी  l  "  कृष्ण  बोले --- " फिर  भी  निश्चिन्त  कैसे  सो  रहे  हो  ? "
  अर्जुन  बोले ---- " जो  मेरे  करने  का  है  ,  सो  तो  मैं  करूँगा  ही  ,  उसके  लिए  ठीक - ठाक   विश्राम  भी  जरुरी  है  l   इसके  अतिरिक्त  क्या  करना  है  ,  यह  मेरा  रक्षक  सोचता  है   l   उसकी  जागरूकता  पर  भरोसा  है  ,  इसलिए  निश्चिन्त  सोता  हूँ  l  "