बाबा नीम करौली हनुमानजी की भक्ति कर के हनुमान मय हो गए थे l उन्होंने देश में अनेक स्थानों पर हनुमान मंदिर बनाए हैं l वे कहते थे हनुमान जी इस युग के जीवंत देव हैं l उन्हें भाव भरे हृदय से पुकारें , तो प्रत्यक्ष खड़े हो जाते हैं l इनसान हृदय से पुकारे तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है , परन्तु पुकार ही तो नहीं पाता है l व्यर्थ की उलझनों में उलझ कर अपना जीवन नष्ट करता रहता है l
कहते हैं बाबा नीम करौली की कृपा से सारे रोग मिट जाते हैं l एक प्रसंग है ----- डॉक्टर ब्रह्मस्वरूप सक्सेना इलाहबाद में होमियोपैथिक डॉक्टर थे l मकान के एक हिस्से में ही उन्होंने क्लीनिक बना दिया था , जहाँ वे रोगियों का निरीक्षण - परीक्षण करते थे l सामान्य जीवन का गुजारा हो जाता था l एक दिन उनके पास एक ऐसा रोगी आया जिसकी दोनों आँखें चेहरे से बाहर निकल आई थीं l डॉक्टर सक्सेना ने उससे कहा --- ' आप किसी सर्जन के पास चलें जाएँ l मेरे पास इसका कोई समाधान नहीं है l ' तब रोगी ने कहा --- मैं आपसे ही दवा लूंगा और मुझे पूर्ण विश्वास है कि दवा खाने के बाद पूर्ण स्वस्थ हो जाऊँगा l क्योंकि हमारे इष्ट एवं आराध्य बाबा नीम करौली ने कहा है कि आपकी दवा से हम स्वस्थ एवं प्रसन्न हो जायेंगे l "
सक्सेना जी बड़े असमंजस में थे , उन्होंने उसे दर्द निवारक अर्निका की गोलियां दीं l रोगी ने जैसे ही उसे खाया , उसकी आँखें सही स्थित हो गईं और उसका भयानक चेहरा शांत व सौम्य हो गया l इस घटना के बाद तो अनेक असाध्य रोगी आने लगे l वे सभी कहते कि बाबा नीम करौली ने उन्हें भेजा है l सक्सेना जी ने बाबा को देखा नहीं था , लेकिन उनके हृदय में उनके लिए श्रद्धा - विश्वास उत्पन्न हो गया l
एक दिन बाबा स्वयं उनकी क्लीनिक आये और कहने लगे----' हाथों में कुछ गर्मी महसूस कर रहा हूँ , जल्दी से कुछ दवा दे दो l कुछ अधिक मात्रा में देना , फिर हम दोबारा नहीं आएंगे l '
जब वे बाहर निकले तो मरीजों ने उनके चरण स्पर्श किए l सक्सेना जी हैरान थे कि इतना धवल व्यक्तित्व ये कौन है ? तब एक मरीज ने कहा --- आप पहचानते नहीं , ये ही बाबा नीम करौली हैं , जिनकी अलौकिक शक्तियां भारत ही नहीं विश्व में प्रकाशित हैं l सक्सेना जी को बहुत पश्चाताप हुआ कि वे जिसे खोजते रहे , वे जब सामने आये तो पहचान न सके l उन्हें इस बात का भी दुःख हुआ कि बाबा अपनी बारी की प्रतीक्षा में बाहर दो घंटे तक बैठे रहे और बाहर बैठे लोगों के साथ सत्संग करते रहे l इसके बाद सक्सेना जी का जीवन बदल गया , वे सेवाभावी हो गए l
कहते हैं बाबा नीम करौली की कृपा से सारे रोग मिट जाते हैं l एक प्रसंग है ----- डॉक्टर ब्रह्मस्वरूप सक्सेना इलाहबाद में होमियोपैथिक डॉक्टर थे l मकान के एक हिस्से में ही उन्होंने क्लीनिक बना दिया था , जहाँ वे रोगियों का निरीक्षण - परीक्षण करते थे l सामान्य जीवन का गुजारा हो जाता था l एक दिन उनके पास एक ऐसा रोगी आया जिसकी दोनों आँखें चेहरे से बाहर निकल आई थीं l डॉक्टर सक्सेना ने उससे कहा --- ' आप किसी सर्जन के पास चलें जाएँ l मेरे पास इसका कोई समाधान नहीं है l ' तब रोगी ने कहा --- मैं आपसे ही दवा लूंगा और मुझे पूर्ण विश्वास है कि दवा खाने के बाद पूर्ण स्वस्थ हो जाऊँगा l क्योंकि हमारे इष्ट एवं आराध्य बाबा नीम करौली ने कहा है कि आपकी दवा से हम स्वस्थ एवं प्रसन्न हो जायेंगे l "
सक्सेना जी बड़े असमंजस में थे , उन्होंने उसे दर्द निवारक अर्निका की गोलियां दीं l रोगी ने जैसे ही उसे खाया , उसकी आँखें सही स्थित हो गईं और उसका भयानक चेहरा शांत व सौम्य हो गया l इस घटना के बाद तो अनेक असाध्य रोगी आने लगे l वे सभी कहते कि बाबा नीम करौली ने उन्हें भेजा है l सक्सेना जी ने बाबा को देखा नहीं था , लेकिन उनके हृदय में उनके लिए श्रद्धा - विश्वास उत्पन्न हो गया l
एक दिन बाबा स्वयं उनकी क्लीनिक आये और कहने लगे----' हाथों में कुछ गर्मी महसूस कर रहा हूँ , जल्दी से कुछ दवा दे दो l कुछ अधिक मात्रा में देना , फिर हम दोबारा नहीं आएंगे l '
जब वे बाहर निकले तो मरीजों ने उनके चरण स्पर्श किए l सक्सेना जी हैरान थे कि इतना धवल व्यक्तित्व ये कौन है ? तब एक मरीज ने कहा --- आप पहचानते नहीं , ये ही बाबा नीम करौली हैं , जिनकी अलौकिक शक्तियां भारत ही नहीं विश्व में प्रकाशित हैं l सक्सेना जी को बहुत पश्चाताप हुआ कि वे जिसे खोजते रहे , वे जब सामने आये तो पहचान न सके l उन्हें इस बात का भी दुःख हुआ कि बाबा अपनी बारी की प्रतीक्षा में बाहर दो घंटे तक बैठे रहे और बाहर बैठे लोगों के साथ सत्संग करते रहे l इसके बाद सक्सेना जी का जीवन बदल गया , वे सेवाभावी हो गए l