कहते हैं जो कुछ महाभारत में है वही इस धरती पर है , इसका एक प्रसंग है ---- पांडव जुए में सब कुछ हारकर वनवास की अवधि पूरी कर एक वर्ष के अज्ञातवास में राजा विराट के यहाँ वेश बदल कर रह रहे थे l महारानी द्रोपदी ' सैरंध्री ' नाम से रानी की सेवा करती थीं l रानी का भाई था ' कीचक ' बहुत बलशाली था , राज्य में उसका दबदबा था और राजा विराट भी उसके दबाव में थे l सैरंध्री ( द्रोपदी ) पर उसकी कुद्रष्टि थी l रानी ने उसे बहुत समझाया लेकिन वह तो कामांध था l उसका व्यवहार द्रोपदी के लिए असहनीय था l एक दिन अवसर पाकर द्रोपदी ने भीम से अपनी व्यथा कही l भीम को भी बहुत क्रोध आया लेकिन उन्होंने द्रोपदी को समझाया कि वह बहुत शक्तिशाली है , तुम उसका सामना नहीं कर सकतीं , उसे तो विवेक और बुद्धि से ही पराजित किया जा सकता है l भीम ने धीरे से द्रोपदी को अपनी योजना समझा दी l
दूसरे दिन जब सैरंध्री का सामना कीचक से हुआ तो उसने कहा -- नृत्य -शाला में रात्रि को एकांत रहता है , मैं वहीँ तुम्हारा इंतजार करुँगी , लेकिन शर्त है वहां घोर अँधेरा होना चाहिए l
कीचक खुशी से फूला नहीं समां रहा था l रात्रि के अंधकार में किसी तरह नृत्य - शाला पहुंचा तो वहां द्रोपदी नहीं , भीम उसका इंतजार कर रहे थे , उन्होंने कीचक को युद्ध के लिए ललकारा , दोनों में भयंकर मल्ल युद्ध हुआ l वह कामांध कीचक भीम जैसे वीर का जो कष्ट कठिनाइयों में तपकर तेजस्वी हो गए थे सामना नहीं कर सका l और भीम ने कीचक का वध कर दिया l ----
हमारे महाकाव्य हमें जीवन जीना सिखाते हैं l रामायण , महाभारत और गीता का अध्ययन - मनन यदि संसार में लोग करें तो संसार की आधी से अधिक समस्याएं वैसे ही समाप्त हो जाएँ l
दूसरे दिन जब सैरंध्री का सामना कीचक से हुआ तो उसने कहा -- नृत्य -शाला में रात्रि को एकांत रहता है , मैं वहीँ तुम्हारा इंतजार करुँगी , लेकिन शर्त है वहां घोर अँधेरा होना चाहिए l
कीचक खुशी से फूला नहीं समां रहा था l रात्रि के अंधकार में किसी तरह नृत्य - शाला पहुंचा तो वहां द्रोपदी नहीं , भीम उसका इंतजार कर रहे थे , उन्होंने कीचक को युद्ध के लिए ललकारा , दोनों में भयंकर मल्ल युद्ध हुआ l वह कामांध कीचक भीम जैसे वीर का जो कष्ट कठिनाइयों में तपकर तेजस्वी हो गए थे सामना नहीं कर सका l और भीम ने कीचक का वध कर दिया l ----
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