यूरोप की एक पुरानी किन्तु रोचक घटना है ----- एक बार कुछ पादरी आपस में चर्चा कर रहे थे कि उन्हें दान में जो कुछ मिलता है उसका वे क्या करते हैं ? एक पादरी ने कहा --- " मेरे यहाँ लोग दान - पेटी में जो कुछ डालते हैं , वह सबका सब परमात्मा के पास पहुँच जाता है l " एक अन्य पादरी ने कहा --- ' मैं अपने यहाँ चढ़ाये गए तांबे को तो चर्च में दे देता हूँ , जबकि चांदी की चीजें परमात्मा के पास पहुंचा देता हूँ l ' इस चर्चा को सुनकर एक तीसरा पादरी जो अब तक खामोश बैठा था , बोला ----- " मैं तो इकट्ठा किया गया सारा धन कम्बल में रख देता हूँ और उसे हवा में उछाल देता हूँ l उछाले गए इस धन में से परमात्मा को जो भी कुछ लेना हो ले लेता है , शेष मैं परमात्मा का प्रसाद समझकर रख लेता हूँ l " ये तीनो पादरी जब चर्चा कर रहे थे , उसी समय उस ओर से संत फ्रांसिस निकले l यह चर्चा सुन उन्होंने जोर का ठहाका लगाया फिर बोले ----- " धूर्त और चालाक मत बनो , क्योंकि अंत में तुम्हारा ही नुकसान होगा , परमात्मा का नहीं l जो ठग हैं , धूर्त और चालाक हैं उनके लिए प्रभु का द्वार कभी न खुल सकेगा l "
18 February 2021
WISDOM ------
एक बार अपने जन्म दिवस 12 जनवरी को गंगा तट पर टहलते हुए स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु भाइयों से कहा था ---- " निद्रित भारत अब जागने लगा है ---- जड़ता धीरे - धीरे दूर हो रही है , जो अंधे हैं वे देख नहीं सकते , जो विकृत बुद्धि हैं , वे ही समझ नहीं सकते कि हमारी मातृभूमि अब जाग रही है ---- अब उसे कोई रोक नहीं सकता l --- एक नवीन भारत निकल पड़ेगा -- हल पकड़कर , किसानों की कुटी भेदकर , मछुए , माली , मोची , मेहतरों की कुटीरों से l निकल पड़ेगा बनियों की दुकानों से , भुजवा के भाड़ के पास से , कारखाने से , हाट से , बाजार से l अपना नवीन भारत निकल पड़ेगा --- झाड़ियों , जंगलों , पहाड़ों , पर्वतों से l इन लोगों ने हजारों वर्षों तक नीरव अत्याचार सहन किया है , उससे पाई है अपूर्व सहनशीलता l सनातन दुःख उठाया है , जिससे पाई है अटल जीवनी शक्ति l यही लोग अपने नवीन भारत के निर्माता होंगे l "