18 February 2021

WISDOM ------

  यूरोप  की  एक  पुरानी   किन्तु  रोचक  घटना  है  ----- एक  बार  कुछ  पादरी  आपस  में  चर्चा  कर  रहे  थे   कि   उन्हें  दान  में  जो  कुछ  मिलता  है  उसका  वे  क्या  करते  हैं   ?  एक  पादरी  ने  कहा  --- " मेरे  यहाँ  लोग  दान - पेटी  में  जो  कुछ  डालते  हैं  ,  वह  सबका  सब  परमात्मा  के  पास  पहुँच  जाता  है  l  "  एक  अन्य  पादरी  ने  कहा --- ' मैं  अपने  यहाँ  चढ़ाये  गए   तांबे   को  तो  चर्च  में  दे  देता  हूँ  ,  जबकि  चांदी   की  चीजें  परमात्मा  के  पास  पहुंचा  देता  हूँ  l  '      इस  चर्चा  को  सुनकर  एक  तीसरा  पादरी  जो  अब  तक   खामोश  बैठा  था  ,  बोला ----- " मैं  तो  इकट्ठा  किया  गया  सारा  धन   कम्बल  में  रख  देता  हूँ   और  उसे  हवा  में  उछाल  देता  हूँ  l  उछाले  गए  इस  धन  में   से  परमात्मा  को  जो  भी  कुछ  लेना  हो   ले  लेता  है , शेष  मैं   परमात्मा  का  प्रसाद  समझकर   रख  लेता  हूँ  l  "  ये  तीनो   पादरी जब  चर्चा  कर  रहे  थे  ,  उसी  समय   उस   ओर   से    संत  फ्रांसिस    निकले   l   यह  चर्चा   सुन उन्होंने  जोर  का  ठहाका  लगाया    फिर  बोले  ----- " धूर्त  और  चालाक   मत  बनो  ,  क्योंकि  अंत  में  तुम्हारा  ही  नुकसान  होगा  , परमात्मा  का  नहीं   l   जो  ठग  हैं ,  धूर्त  और  चालाक  हैं   उनके  लिए  प्रभु  का  द्वार  कभी   न  खुल  सकेगा   l "

WISDOM ------

   एक  बार  अपने  जन्म  दिवस   12  जनवरी  को  गंगा  तट   पर  टहलते  हुए   स्वामी  विवेकानंद  ने  अपने  गुरु भाइयों  से  कहा  था  ---- " निद्रित  भारत  अब  जागने  लगा  है  ---- जड़ता  धीरे - धीरे  दूर  हो  रही  है  ,   जो अंधे   हैं  वे  देख  नहीं  सकते  ,  जो  विकृत  बुद्धि  हैं  ,  वे  ही  समझ  नहीं  सकते   कि   हमारी  मातृभूमि  अब  जाग  रही  है     ---- अब  उसे  कोई  रोक   नहीं सकता  l   --- एक  नवीन   भारत  निकल  पड़ेगा  -- हल  पकड़कर ,  किसानों  की  कुटी  भेदकर  ,  मछुए ,  माली ,  मोची  ,  मेहतरों  की  कुटीरों  से    l   निकल  पड़ेगा  बनियों  की  दुकानों  से  ,  भुजवा  के  भाड़   के पास  से  ,  कारखाने  से  ,  हाट  से  , बाजार  से   l   अपना  नवीन   भारत  निकल  पड़ेगा   --- झाड़ियों , जंगलों , पहाड़ों  , पर्वतों  से  l   इन  लोगों  ने  हजारों  वर्षों  तक  नीरव  अत्याचार  सहन  किया  है  ,  उससे  पाई  है  अपूर्व  सहनशीलता   l   सनातन  दुःख  उठाया  है  ,  जिससे  पाई  है  अटल  जीवनी  शक्ति   l   यही  लोग  अपने  नवीन  भारत  के  निर्माता  होंगे   l  "