महाभारत में ' विदुर नीति ' में एक श्लोक है जिसका भावार्थ है ---- महात्मा विदुर धृतराष्ट्र से कहते हैं --- " हे राजन ! इस संसार में दूसरों को निरंतर प्रसन्न करने के लिए प्रिय बोलने वाले प्रशंसक लोग बहुत हैं , परन्तु सुनने में अप्रिय लगे और वह कल्याण करने वाला वचन हो , उसका कहने और सुनने वाला पुरुष दुर्लभ है l " महर्षि दयानन्द ऐसे विरले मनुष्य थे , वे राजाओं -महाराजाओं के सामने , बड़े अंग्रेज अफसरों की उपस्थिति में निर्भीक होकर सबके हित की सत्य बात कहा करते थे l स्वामीजी मूर्ति पूजा के विरोधी थे , वे कहते थे ---- मेरा काम लोगों के मन - मंदिरों से मूर्तियां निकलवाना है , ईंट पत्थर के मंदिरों को तोड़ना नहीं l महर्षि दयानन्द मानते थे कि हमारा नाम आर्य है , हिन्दू नहीं l आर्य का अर्थ है श्रेष्ठ पुरुष l विदेशियों ने हमें हिन्दू नाम दिया l उनके द्वारा रचित ' सत्यार्थ प्रकाश ' सोई हुई जाति के स्वाभिमान को जगाने वाला अद्वितीय ग्रन्थ है l
16 February 2021
WISDOM ------ कर्तव्य ही धर्म है
एक बार महाराजा पुरंजय ने राजसूय यज्ञ किया l इसमें उन्होंने दूर - दूर से ऋषि - मुनियों को आमंत्रित किया l प्रजा की सुख - संमृद्धि के उद्देश्य से आयोजित यज्ञ में विधि - विधान से आहुतियाँ दी जाने लगीं l यज्ञ की पूर्णाहुति का दिन आया l महाराज , महारानी , राजकुमार सभी यज्ञ मंडप में विराजमान थे l वेदमंत्रों की ध्वनि से वातावरण गुंजित हो रहा था l अचानक एक किसान के रोने की आवाज सुनाई दी l वह रोते हुए कह रहा था --- " दस्युओं ने मेरी सम्पति लूट ली l मेरी गाय छीनकर ले गए l दस्यु अभी कुछ ही दूर गए होंगे l महाराज ! तुरंत उनको पकड़कर मेरी सम्पति दिलाएँ l " पंडितों ने कहा ---- " इस व्यक्ति को दूर ले जाओ l यदि राजा इस पर दया कर के बिना पूर्णाहुति के उठ गए तो देवता कुपित हो जाएंगे l " राजा दयालु था , किसान का रुदन सुनकर उसका हृदय करुणा से भर गया l राजा ने कहा ---- " मेरा पहला कर्तव्य अपनी प्रजा का संकट दूर करना है l मैंने अनेक यज्ञ पूर्ण किए हैं l आज मैं पहली बार यज्ञ पूर्ण किए बिना अपने राज्य के किसान का संकट दूर करने जा रहा हूँ l " राजा के ऐसा कहने पर साक्षात् यज्ञ भगवान प्रकट हुए और बोले --- " राजन ! तुम्हें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं l यह तुम्हारी परीक्षा थी कि तुम अपनी प्रजा के प्रति कर्तव्य का पालन करते हो या नहीं l अब तुम्हें सौ राजसूय यज्ञों का फल मिलेगा l "