9 September 2020

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' इस  संसार  में   अंधकार   भी  है  और  प्रकाश   भी ,  स्वर्ग  भी  है  और  नरक  भी  ,  पतन  भी  है  और  उत्थान  भी ,  त्रास   भी  है   और  आनंद  भी  l   इन  दोनों  में  से  मनुष्य   अपनी  इच्छानुसार   जिसे  चाहे  चुन  सकता  है   l   कुछ  भी  करने  की  सभी  को  छूट  है  ,  पर  प्रतिबन्ध  इतना  ही  है   कि   कृत्य  के  प्रतिफल  से  बचा  नहीं  जा  सकता  l   स्रष्टा  के  निर्धारित  क्रम  को   तोड़ा   नहीं   जा  सकता   l 

WISDOM----- कलियुग का एक लक्षण है --- लोग अच्छाई में भी बुराई खोज लेते हैं

   एक  कथा  है ---- एक  बार  एक  आदमी  एक  ऐसे  गाँव  में  पहुँच  गया  ,  जहाँ  सब  अंधे  रहते  थे  l  नेत्रहीन  होते  हुए  भी  वे  सभी  काम  आसानी  से  कर  लेते  थे  l   वहां  उसे  एक  लड़की  मिली  बहुत  सुन्दर  थी , शिष्ट  थी  l   उस  गाँव  में  सभी  अंधे  थे  ,  वह  भी  अंधी  थी  l  उस  आदमी   को  उससे  प्रेम  हो  गया  l   वह  उसे  उसके  सौंदर्य  का  भान  कराता  l  सुन्दर  दृश्यों  का  वर्णन  करता , रंग  बताता   तो  वह  पूछती  कि   कैसा  होता  है  ये  रंग   ?  वह  बार - बार  यही  कहता  कि   इसके  लिए  आँखे  होनी  चाहिए  l   उस  लड़की  ने    उससे   विवाह  करने  के  लिए  घर  के  बुजुर्गों   से    बात  की   ,  पर  साथ  में  यह  भी  बताया  कि   उसमे  एक  बहुत  बड़ी  कमी  है  कि   उसे  दिखाई  देता  है  l   वह  हम  लोगों  की  तरह  नहीं  है  l   सभी  अंधे  बुजुर्ग  बोले --- " यह  बड़ी  भयावह  बीमारी  है  l   सारी   तकलीफें  इसी  से  पैदा  होती  हैं  l   तुम  चिंता  न  करो , हम  उसका  इलाज   कर देंगे  ,  फिर  तुम्हारी  शादी   उससे  करा  देंगे  l  "  सब  अंधे  उसके  पीछे  पड़   गए  ,  उनका  चक्रव्यूह  इतना  प्रबल  था    कि   वह   उनके  जाल  में  फँस   गया  l       लेकिन उसकी  आँखे  थी ,  उसमे  विवेक  था ,  वह  जागरूक  था   इसलिए  उन  अंधों  के ,  उसके  विवेक  को  नष्ट  करने  के  ,  उसकी  जागरूकता  को  पनपने  न  देने  के  सारे  प्रयास  विफल  हो  गए   l   वह  किसी  तरह  बच  कर  निकल  भागा  l  लड़की  कहती  रही  ,  हम  तुमसे  प्रेम  करते  हैं , मत  भागो  ,  लेकिन  वह  उस  चक्रव्यूह  से  बच  निकला  l    

अंधों    के  गाँव  में  देखना  भी  एक  बीमारी  है  l   आज  के  संसार  की  स्थिति  भी  ऐसी  है   l  विवेकवान  होना , जागरूक  होना  भी  एक  बीमारी  है  ,   बनो  तो  उनके  जैसे  l