21 October 2018

WISDOM ----- ईर्ष्यालु व्यक्ति अपना ही अहित करता है

 ईर्ष्यालु  व्यक्ति  न  खुद  चैन  से  रहता  है  और  न  दूसरों  को  चैन  से  रहने   देता   है  l    वह  व्यक्ति  जिससे   किसी  को  ईर्ष्या  है ,    यदि  आत्मबल  संपन्न  है ,   उसमे  विवेक बुद्धि  है   तो  वह  विभिन्न  षडयंत्रों  का  , आक्रमण  का   साहस  के  साथ  सामना  करता  हुआ  आगे  अपने  लक्ष्य  की  और  बढ़ता  जाता  है  और  सफल  होता  है  l  लेकिन  ईर्ष्यालु  व्यक्ति    अपने  हाथों  अपना  ही  नुकसान  करता  है  l  उसका  सारा  समय  व  उर्जा  व्यर्थ  के  ताना -बाना  बुनने  में  ही  खर्च  हो  जाती  है  l  दूसरों  को  देखकर  चिढ़ना -कुढ़ना  उसका  स्वभाव  बन  जाता  है  ,  ईर्ष्या  की  आग  में  जलकर  वह  स्वयं  अपना  सुख - चैन  समाप्त  कर  लेता  है   l 
 श्रीरामचरितमानस  में  एक  प्रसंग  है  ----- जब  श्री हनुमानजी  सीताजी  का  पता लगाने  के  लिए  आगे   बढ़ते  हैं  तो  उन्हें  सिंहिका  नामक  राक्षसी  मिलती  है  ,  जिसे  उन्होंने  मार  डाला    क्योंकि  वह  ईर्ष्या  का  प्रतीक  थी  l  वह  उड़ते   हुए  लोगों  की  परछाई  पकड़कर   उन्हें  खा जाती  थी   l  ऋषियों  का  मत  है  कि  ईर्ष्या  को  जिन्दा  नहीं  रहने  देना  चाहिए  l  ईर्ष्यालु  लोग  अपनी  पूरी  उर्जा  दूसरों  से  लड़ने  में   लगा  देते  हैं ,   जबकि  यदि  मनुष्य  को  लड़ना  है   तो  उसे  अपनी  किस्मत  से  लड़ना  चाहिए  ,  ताकि  वह  उसे  बेहतर  बना  सके   l    ईर्ष्या  छोड़कर  मन  को  शांत  रखने  से   जीवन  की  अनेक बड़ी - बड़ी  समस्याएं  आसानी  से  हल  हो  जाती  हैं   l