20 September 2020

WISDOM -----

  कहानी  उस  समय  की  है  जब  संसार  में  राजतन्त्र  था  ,  राजे - महाराजे   विभिन्न  राज्यों  पर   आक्रमण  कर  उन्हें  अपने  आधीन  कर  लेते  थे  l   ऐसे  ही  एक  राजा  था   जिसने   अनेकों  राज्यों  को  जीतकर  वहां  अपनी  हुकूमत  कायम  कर  ली  ,    बहुत  अत्याचारी  था ,  लोगों  की  ख़ुशी  से  उसे  बहुत  ईर्ष्या  थी  l   उसे  अपने  गुप्तचरों  से   मालूम  हुआ  कि   लोग  उससे  बड़ी  नफरत  करते  हैं  l   उसके  मन  में  विचार  आने  लगा  कि   मैंने  जमीन   जीती  है   लेकिन  अब  मैं  ऐसा  कुछ  करूँ   जिससे  लोगों   के मन  पर  मेरा  नियंत्रण  हो  जाये  ,  उनका  वजूद  ही  मिट  जाये  l   इसके  लिए  उसने  दूर - दूर  से  विद्वान् , विशेषज्ञ  बुलाये   जो   कोई ऐसी  योजना  बनाएं   जिससे  लोगों  पर  उसका  नियंत्रण  भी  हो  जाये   और  उसे  किसी  की  नफरत  भी  न  झेलनी  पड़े  l 

 ' सांप  भी  मर  जाये   और  लाठी  भी  न  टूटे  '  l   जो  जैसा  होता  है  , उसे  वैसे  ही  सलाहकार  भी  मिल  जाते  हैं  l    अच्छाई  के  रास्ते   पर  चलकर   भी  लोगों  के  दिलों  को  जीता  जा  सकता  है   लेकिन  अत्याचारी  तो  वही  राह  पकड़ता  है  जिससे  लोगों  को  कष्ट  हो  l   सलाहकारों  की  योजना  के  अनुसार  काम  शुरू  हो  गया  l   इस  कार्य  में  उसे  कहाँ  तक  सफलता  मिल  रही  है  ,  इसकी  वह  विभिन्न  माध्यमों  से  पूरी   जानकारी रखता  l  एक  दिन  उसके  अधिकारियों   ने   उसे  बताया   कि   उनकी  योजना  बहुत  सफल  रही  ,  लोगों  की  सोच  पर   भी  उसका  नियंत्रण  है  , परदे  के  पीछे  रहकर  वह  जैसा  आदेश  देता  है  ,  लोग  आँख  बंद  कर  उसे  स्वीकार  कर  लेते  हैं  l   इसे   सिद्ध करने  के  लिए  राजा  के  सामने  एक  नमूना  पेश   किया गया   l   राजा  ने  उससे  पूछा  --- क्या  नाम  है  तुम्हारा  ?  उसने  कहा ----' जो  आप  कहें l  '   क्या  काम  कर  सकते  हो  ?  ' जो  आप  दें  '  l   क्या  खाना  पसंद  करोगे  ?  '  जो  आप  दें  l '  बीमार  पड़ोगे  तो  क्या  इलाज  करोगे  ? को ' जो  आप  कहेंगे  वही  दवा , वही  इलाज  लेंगे  ' l   राजा  ने  उससे  खेती  के  बारे  में  जानकारी  ली  ,  अमुक  खेती  के  लिए  बीज  कहाँ  से  लोगे   ?  ' जहाँ  से  आप  कहेंगे  l '   खाद  कौन  सी  डालोगे  ? '  जो  आप  देंगे  l ' जुताई  कैसे  करोगे  ?  जिससे  आप  कहेंगे  l '  उसका  ऐसा  समर्पण  देख  राजा  की  सनक  को   बड़ा  सुकून  मिला  l  उसने  और  प्रश्न  पूछे  --- सामाजिक  जीवन  में  कैसे  व्यवहार  करोगे ,  कैसे  चलोगे - फिरोगे  ? '  उसने  कहा --- हुजूर  !  जैसे  आप  कहें  l   हम  तो  आपके  गुलाम  हैं ,  श्वास  भी  जैसे  आप  कहोगे  ,  वैसे  ही  लेंगे   l   राजा  बहुत  खुश  हुआ  ,  उसने  अपने  अधिकारियों   को  मालामाल  कर  दिया  और  साथ  ही  यह  आदेश  दिया  कि   मेरी  यह  योजना  रुकनी  नहीं  चाहिए  ,   मैं  ही  ' समर्थ  सत्ता  ' हूँ  मुझे  लोगों  के  जीवन - मरण  पर  भी  अपना  नियंत्रण  करना  है  l   कहते  हैं  जब  व्यक्ति  ईश्वर  को  चुनौती  देने  लगता  है  तो   प्रकृति  उसे  सहन  नहीं  करती  , -------- ऐसा  ही  हुआ  ,  विवेकशील  लोगों  के  प्रयास   से उसकी  योजना  का  भंडाफोड़  हुआ  l ----