कहानी उस समय की है जब संसार में राजतन्त्र था , राजे - महाराजे विभिन्न राज्यों पर आक्रमण कर उन्हें अपने आधीन कर लेते थे l ऐसे ही एक राजा था जिसने अनेकों राज्यों को जीतकर वहां अपनी हुकूमत कायम कर ली , बहुत अत्याचारी था , लोगों की ख़ुशी से उसे बहुत ईर्ष्या थी l उसे अपने गुप्तचरों से मालूम हुआ कि लोग उससे बड़ी नफरत करते हैं l उसके मन में विचार आने लगा कि मैंने जमीन जीती है लेकिन अब मैं ऐसा कुछ करूँ जिससे लोगों के मन पर मेरा नियंत्रण हो जाये , उनका वजूद ही मिट जाये l इसके लिए उसने दूर - दूर से विद्वान् , विशेषज्ञ बुलाये जो कोई ऐसी योजना बनाएं जिससे लोगों पर उसका नियंत्रण भी हो जाये और उसे किसी की नफरत भी न झेलनी पड़े l
' सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे ' l जो जैसा होता है , उसे वैसे ही सलाहकार भी मिल जाते हैं l अच्छाई के रास्ते पर चलकर भी लोगों के दिलों को जीता जा सकता है लेकिन अत्याचारी तो वही राह पकड़ता है जिससे लोगों को कष्ट हो l सलाहकारों की योजना के अनुसार काम शुरू हो गया l इस कार्य में उसे कहाँ तक सफलता मिल रही है , इसकी वह विभिन्न माध्यमों से पूरी जानकारी रखता l एक दिन उसके अधिकारियों ने उसे बताया कि उनकी योजना बहुत सफल रही , लोगों की सोच पर भी उसका नियंत्रण है , परदे के पीछे रहकर वह जैसा आदेश देता है , लोग आँख बंद कर उसे स्वीकार कर लेते हैं l इसे सिद्ध करने के लिए राजा के सामने एक नमूना पेश किया गया l राजा ने उससे पूछा --- क्या नाम है तुम्हारा ? उसने कहा ----' जो आप कहें l ' क्या काम कर सकते हो ? ' जो आप दें ' l क्या खाना पसंद करोगे ? ' जो आप दें l ' बीमार पड़ोगे तो क्या इलाज करोगे ? को ' जो आप कहेंगे वही दवा , वही इलाज लेंगे ' l राजा ने उससे खेती के बारे में जानकारी ली , अमुक खेती के लिए बीज कहाँ से लोगे ? ' जहाँ से आप कहेंगे l ' खाद कौन सी डालोगे ? ' जो आप देंगे l ' जुताई कैसे करोगे ? जिससे आप कहेंगे l ' उसका ऐसा समर्पण देख राजा की सनक को बड़ा सुकून मिला l उसने और प्रश्न पूछे --- सामाजिक जीवन में कैसे व्यवहार करोगे , कैसे चलोगे - फिरोगे ? ' उसने कहा --- हुजूर ! जैसे आप कहें l हम तो आपके गुलाम हैं , श्वास भी जैसे आप कहोगे , वैसे ही लेंगे l राजा बहुत खुश हुआ , उसने अपने अधिकारियों को मालामाल कर दिया और साथ ही यह आदेश दिया कि मेरी यह योजना रुकनी नहीं चाहिए , मैं ही ' समर्थ सत्ता ' हूँ मुझे लोगों के जीवन - मरण पर भी अपना नियंत्रण करना है l कहते हैं जब व्यक्ति ईश्वर को चुनौती देने लगता है तो प्रकृति उसे सहन नहीं करती , -------- ऐसा ही हुआ , विवेकशील लोगों के प्रयास से उसकी योजना का भंडाफोड़ हुआ l ----