28 February 2024

WISDOM -----

  हमारे  धर्म  ग्रंथों   के  विभिन्न   प्रसंगों  में  मनुष्य  के  सुखी  और  सफल  जीवन  के  लिए   विभिन्न  सूत्र  हैं  ,  लेकिन  जब  वातावरण  में  नकारात्मकता  होती  है  , दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है  तब  व्यक्ति   अच्छाई  को  नहीं  देखता  , अच्छाई  में  से  भी  बुराई  ढूंढ  लेता  है   जैसे  शिशुपाल  और  दुर्योधन  को  भगवान  श्रीकृष्ण  में  कोई   गुण  नहीं  दीखते  थे  ,  शिशुपाल  ने  तो  भगवान  को  सौ  गालियाँ   दीं  , दुर्योधन  ने  उन्हें  बंदी  बनाने  का  प्रयत्न  किया  l  इसी  तरह  रावण  कितना  विद्वान्  और  शक्तिशाली  था   l  रावण  के  गुणों  को  किसी  ने  नहीं   सीखा  l  रावण  ने  जो  पापकर्म  किए   वे  ही  लोगों  के  मन -मस्तिष्क  पर  हावी  हो  गए   l  कितनी  ही  पीढ़ियाँ  गुजर  गईं   लेकिन   आततायी  , अत्याचारी  , अहंकारी  ,   ऋषियों  को  सताने  वाला  रावण   लोगों  के  मन -मस्तिष्क  पर  से  हटा  नहीं  , वह  आज  भी  जिन्दा  है    l  ईश्वर  धरती  पर  मनुष्य  रूप  में  अवतार  लेते  हैं   और  अपने  आचरण  से  शिक्षा  देते  हैं   l  जब  युधिष्ठिर  ने  राजसूय  यज्ञ  किया  ,  उसमें  सबके  लिए  काम  बांटे  जा  रहे  थे  l  श्रीकृष्ण  ने  भी  अपने  लिए  काम  माँगा   l  लेकिन  पांडवों  ने  कहा ---- " भगवन ! आपके  लिए  तो  हमारे  पास  कोई  काम  नहीं  है  l "  बहुत  ज्यादा  जोर  देने  पर  उनसे  कह  दिया  गया  कि   वे  अपनी  पसंद  का  काम  स्वयं  ढूंढ  लें  l  सभी  ने  देखा  कि   भगवान  श्रीकृष्ण  यज्ञ  में  आदि  से  अंत  तक   अतिथियों  के  चरण  धोने , झूंठी  पत्तलें  उठाने  तथा  सफाई  रखने  का  काम  स्वयं  करते  रहे   l  भगवान  ने  कहा  ---- कोई  काम  छोटा  नहीं  होता    पर  बड़ों  को   छोटे  काम  भी   करने  चाहिए   ताकि  उनमें  अहंकार  न  हो    और  छोटों  में  हीनता   की  भावना  उत्पन्न  न  होने  पाए  l