9 March 2021

WISDOM ------

   सच्ची  प्रशंसा  व्यक्ति  को   सकारात्मक  नजरिया  प्रदान  करती  है  l   यदि  व्यक्ति  को  अपने  सद्गुण  नजर  आने  लगें  तो  वह    स्वयं  को  सुधारने  में  लग  जाता  है   l   एक  कथा  है  ----- महर्षि  विश्वामित्र    ब्रह्मर्षि   बनना  चाहते  थे  l   इसके  लिए  उन्होंने  कठोर  तप  किया  ,  ब्रह्मा जी  को   प्रसन्न  किया  और   वरदान  माँगा  कि   वे   ब्रह्मर्षि   का  पद  चाहते  हैं  l   ब्रह्मा जी  ने  उनसे  कहा   कि   यदि  महर्षि  वसिष्ठ   आपको  ब्रह्मर्षि  कह  दें  ,  तो  आपको    ब्रह्मर्षि   पद   मिल  जायेगा   l   महर्षि  वसिष्ठ  के  प्रति  विश्वामित्र  जी  के  मन  में  बहुत  क्रोध  था  ,  उन्होंने  एक  यज्ञ  किया  ,  जिसमें  उन्होंने  सबको  आमंत्रित  किया  ,  लेकिन  महर्षि  वसिष्ठ  को  नहीं  बुलाया  l   यह  अपमान  महर्षि    वसिष्ठ  के  पुत्रों  से  सहन  नहीं  हुआ   और  वे  सब   महर्षि   विश्वामित्र   के    समक्ष   गए  ,  तब  विश्वामित्र  ने   उन  सबको  अपने   तपोबल    से नष्ट  कर  दिया   l   इस  पर  भी  वे  संतुष्ट  नहीं  हुए   और  एक  दिन  रात  में  छिपकर   महर्षि  वसिष्ठ  को  मारने  पहुंचे  ,  लेकिन  देखा  कि   वे  अपनी  पत्नी    अरुंधति  से   महर्षि  विश्वामित्र  के  गुणों  की  प्रशंसा  कर  रहे  थे  l   इतना  सब  कुछ  करने  के  बाद  महर्षि  वसिष्ठ  के  मुँह   से  अपनी  प्रशंसा   सुनकर   वे  बहुत  लज्जित  हुए    और  उनके   समक्ष जाकर  अपने  कृत्यों  के  लिए   उनसे  क्षमा  मांगी  ,  अपनी  गलतियाँ   स्वीकारीं   l   महर्षि  वसिष्ठ  ने  उन्हें  क्षमा  कर  दिया   और  ब्रह्मर्षि  पद  भी  दे  दिया   l