24 December 2022

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- " हिरन , हाथी , पतंगा , मछली  और  भौंरा   ये  अपने -अपने  स्वाभाव  के  कारण   पांच  विषयों  में  से   केवल  एक  से  आसक्त   होने  के  कारण   मृत्यु  को  प्राप्त  होते  हैं  , तो  इन  पांच  विषयों  में  जकड़ा  हुआ  असंयमी  पुरुष   कैसे  बच  सकता  है  l  असंयमी  की  दुर्गति  निश्चित  है  l  "  श्रीमद्भगवद्गीता   में  भगवान  कहते  हैं ---- " जैसे  जल  में  चलने  वाली  नाव  को  वायु  हर  लेती  है  , वैसे  ही  विषयों  में  विचरती  हुई  इन्द्रियों  में  से  मन  जिस  इन्द्रिय  के  साथ  रहता  है  , वह  एक  ही  इंद्रिय  इस  आयुक्त  पुरुष  की  बुद्धि  को  हर  लेती  है  l  '    आचार्य श्री ,   लिखते  हैं  --- इसका  अर्थ  यह  हुआ  कि   मनुष्य  को  बहुत  सावधान  रहना  चाहिए   l   एक  ही  इंद्रिय  काफी  है  , जो  मनुष्य  को  पतन  की  ओर  ले  जा  सकती  है  l   द्वापर युग  में  एक  असुर  था  , जिसका  नाम  था  शम्बरासुर  l  शम्बरासुर  ने  भगवान  श्रीकृष्ण  के  बड़े  पुत्र  प्रद्युम्न   जो  कामदेव  के  अवतार  थे , उनका  हरण  कर  लिया  था  l  रति  भी  उनके  यहाँ  कैद  थी  l  शंबरासुर   पाककला  में  निपुण  स्त्रियों  का  ही  अधिकतर  हरण  करता  था  l  उसे  खाने  का  बड़ा  शौक  था  l  वह  चाहता  था  कि  उसकी  पाकशाला  में  बढ़िया  स्वादिष्ट  खाना  बने   और  उसे  खिलाया  जाये  l  वह  किसी  स्त्री  की  खूबसूरती  को  नहीं  देखता  था   और  न  ही  उन्हें  हाथ  लगाता  था  l  उस  स्त्री  का  पाक कला  में  पारंगत  होना  जरुरी  था  l  प्रद्युम्न  ने  उसे  मारकर   अगणित  स्त्रियों  को  मुक्त   किया  l  मात्र  एक  इंद्रिय  ही   उस  असुर  के  पतन  का   कारण  बनी --- सुस्वादु  आहार  का  सेवन , दिन -रात  उसी  का  चिन्तन  l   प्रत्येक  मनुष्य  को  स्वयं  अपना  ही   परीक्षण  करना  चाहिए  l  आचार्य जी  लिखते  हैं ---' अपनी  दुष्प्रवृतियों  को  नियंत्रित  कर  लेना  ही  साधना  है  l  '