5 January 2019

WISDOM ---- सच्चाई और ईमानदारी के साथ जागरूकता भी जरुरी है

   सच्चे  और  ईमानदार  व्यक्तियों  को   यदि  दीन - हीन  देखा  जाता  है   तो  उसके  पीछे  एक  कारण  यह  भी  है  कि  वे  संगठित    नहीं  है  और  उनमे  जागरूकता   की ,    विवेक  की  कमी  है   इस कारण  उनका  लाभ   बुरे  लोग  उठा  लेते  हैं  l  बुरे  व्यक्ति   उनका    लाभ  उठाते  हैं ,  शोषण  करते  हैं  l  यदि  ऐसा  सच्चा  व्यक्ति  कभी  किसी मुसीबत  में  फंस  जाये  तो  कभी  उसकी  मदद नहीं  करते  ,  बल्कि अपना  स्वार्थ  सिद्ध  हो  जाने  के  बाद  धक्का  और  दे देते  हैं  l   इसलिए  हमें  जागरूक  होना  होगा  कि  कहीं  हमारा  लाभ  गलत  व्यक्ति  तो  नहीं  उठा  रहे  l
   इस  कटु  सत्य  को  बताने वाली  घटनाओं  से  हमारा  इतिहास भरा पड़ा है  l   इतिहास  इस  बात  का साक्षी  है   कि  राजपूत  राजा   चरित्र , वीरता , साहस ,  शौर्य   और  आन - बान  में  मुगलों  से  हजार  गुना  अच्छे  थे  l  उनकी  वीरता , कर्तव्य परायणता   और  जाँबाजी  के  किस्सों से  इतिहास के  पृष्ठ   रंगे  पड़े  हैं    किन्तु यही  सब  कुछ  नहीं  होता  l  उसके  सदुपयोग  और  एकता  की  भावना  का  उनमे  सर्वथा  अभाव  था  l 
     राजपूतों  के  ' शौर्य '  और  ' मर  मिटना '   ये  सब  बातें  उनके  अहंकार  को  बढ़ाने  वाली  थीं  l  उनके  इस मिथ्याभिमान  और  अविवेक  का  लाभ  मुगलों  ने  उठाया  था  l   मुग़ल  राज्य  की  नीवें  इन्ही  राजपूत  राजाओं  के  बल  पर  खड़ी  रहीं  थी  l  राजपूत  राजाओं   से  मुगलों  ने  दोस्ती  की  थी    और  इस  दोस्ती के  लिए   राजपूत  राजा    ,  मुग़ल  सम्राट  के  कहने  पर   विभिन्न  क्षेत्रों  में  युद्ध  के  लिए  जाते  थे ,  अपनों  से  ही  युद्ध  करते  थे  l    इससे  राजपूत  राजाओं  का  गौरव कम  हुआ  और  पराधीनता का कलंक   भी  भारत भूमि  को  धोना  पड़ा  l   केवल  महाराणा  प्रताप , राणा  हम्मीर  और  महाराणा  राजसिंह  ने    देश  के  गौरव  को बनाये  रखा   l 
   उस  काल  के  अधिकांश  हिन्दू  राजाओं  की  सत्ता  ,  सामर्थ्य ,  बल ,  पौरुष   व सैन्य  शक्ति   या  तो  आपस  में  लड़ने - झगड़ने   और  मिथ्या  मान - अपमान  में  उलझकर    परस्पर  ईर्ष्या - द्वेष   उपजाने  में  ही  खर्च  होती रही    और  उसका  लाभ  दूसरे  लोगों  द्वारा  उठाया  जाता  रहा   l