विवेक शक्ति मूर्च्छित हो जाने के कारण ही लोग धर्म के नाम पर आपस में झगड़ते हैं l सच्चे भक्त हों तो भगवान स्वयं उन्हें समझाने आते हैं l एक कथा है ----- एक बार हनुमान जी की भेंट अर्जुन से हुई l हनुमान जी भगवान राम के भक्त थे और अर्जुन श्रीकृष्ण के l हनुमान जी कहने लगे -- मेरे भगवान राम बली हैं , अर्जुन कहते श्रीकृष्ण बली है l दोनों भक्तों में बहस छिड़ गई , बहस का अंत न होते देख परीक्षा करने का निश्चय हुआ और शर्त तय हुई कि जो हारे , वह आत्महत्या कर ले l अर्जुन ने श्रीकृष्ण का ध्यान किया और तुरंत समुद्र में एक विशाल पुल बाँध दिया और हनुमान जी से बोले --- " अब यदि तुम्हारे राम बली हैं तो इस पुल को तोड़ दो l यदि न तोड़ सके तो श्रीकृष्ण की तुलना में श्रीराम का पराक्रम कमजोर माना जायेगा l हनुमान जी जोश में भर गए l उन्होंने शरीर का शतयोजन विस्तार किया और पुल पर कूद पड़े l भक्तों के इस झगड़े का पता भगवान को हुआ तो वे बहुत चिंतित हुए l यदि हनुमान जी की रक्षा करते हैं तो अर्जुन का अंत होता है l यदि अर्जुन जीतते हैं तो हनुमान जी का अंत निश्चित है l सोच -विचारकर भगवान ने स्वयं ही अपना शरीर पुल के नीचे लगा दिया l हनुमान जी जैसे ही पुल पर कूदे , उनके भार से भगवान का शरीर फट गया और खून बहने लगा l हनुमान जी ने भगवान राम को पहचाना और कूद कर उनके पास पहुंचे और दुःख करने लगे l अर्जुन ने कृष्ण रूपी भगवान को पहचाना , वे भी विलाप करने लगे l भगवान ने समझाया ---- " अच्छा होता , आप लोग विवेक से काम लेते l मैं एक हूँ , मेरे ही अनेक रूप संसार में फैले हैं l इसलिए किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए l कोई विवाद आए तो उसे विवेक से हल कर लेना चाहिए l " हम सच्चे भक्त बने l यदि हृदय में सच्चाई है , विवेक है तो कभी झगड़ा होगा ही नहीं l